कुपोषण से जंग लड़ रहे 18 हजार नौनिहाल

कुपोषण को खत्म करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं धरातल पर बेअसर साबित हो रही हैं और कुपोषण की काली छाया मासूमों की जिंदगी को बर्बाद कर रही है। यही कारण है कि जिले के करीब 18516 बच्चे कुपोषण से जंग लड़ रहे हैं।स्थिति ये है कि 6931 बच्चे लाल श्रेणी में हैं।इसके अलावा 2577 कुपोषण की गंभीर चिकित्सीय अवस्था (सैम) और 5190 कुपोषण की चिकित्सीय अवस्था (मैम) की श्रेणी में हैं। बच्चों में कुपोषण खत्म करने के लिए जिले में 1430 आंगनबाड़ी केंद्र बने हैं। यहां पर ऐसे बच्चों की लंबाई और वजन के हिसाब से उनके स्वास्थ्य की जांच होती है।विभाग के आंकड़ों के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों पर 123541 बच्चे पंजीकृत हैं। अप्रैल माह में 96. 52 प्रतिशत यानी एक 19236 बच्चों का वजन किया गया। इनमें से 18516 बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए। इनमें से 6931 बच्चे गंभीर कुपोषित हैं, जो लाल श्रेणी में रखे गए हैं।इसके अलावा केवल अप्रैल महीने में गंभीर रूप से कुपोषित 17 बच्चों को जिला अस्पताल स्थिति पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती किया गया है।

कुपोषित बच्चों के आहार

– तीन साल के बच्चे को 24 घंटे में 2 कप दूध, दो कटोरी दाल, 3-4 कटोरी मिक्स अनाज 6 से 8 बार खिलाना ठीक रहता है। – बच्चों को साफ पानी ही देना चाहिए। – कोई भी संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। – छह माह के बच्चों को मां के दूध के अलावा दो कटोरी मसला हुआ खाना दिनभर में थोड़-थोड़ा कर के खिलाना चाहिए। आठ से दस महीनों के बच्चों को मां के दूध के अलावा तीन कटोरी प्रोटीन युक्त खाना दिनभर में खिला देना चाहिए। – हर मौसम में विभिन्न मौसमी फलों या उनके रस को बच्चों को दें।

कुपोषण के लक्षण

– जन्म के समय दो किलो से कम वजन होना – बच्चे में चिड़चिड़ापन और सुस्ती रहना – बार-बार बीमारियों की चपेट में आना – बच्चे में उम्र के साथ वजन न बढ़ना

– कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो खाया पिया नहीं पचा पाते

इस तरह करें बचाव और बरतें सावधानी – रोगों से बचाने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें – नौ माह की आयु तक बच्चे को मां अपना दूध पिलाएं – जन्म से लेकर दो साल तक बच्चे रोज तीन कप दूध दें – रोजाना दो कटोरी दाल और दलिया दिया जाए – बच्चे को उबला हुआ पानी ठंडा कर पिलाएं

अत्यंत कुपोषित बच्चों को समुचित उपचार दिलाया जाता है। इसमें अभिभावकों को भी गंभीरता दिखानी चाहिए। सही देखभाल से बच्चा जल्दी ही कुपोषण की श्रेणी से बाहर आ जाता है। विभाग समय-समय पर केंद्रों पर बच्चों वजन तौलने के अलावा चेकअप भी कराता है। संजीव कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी

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