महाराष्ट्र में टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के खिलाफ ग्राहकों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की है कि कंपनी द्वारा उनकी *प्रीपेड सिम* को बिना किसी पूर्व सूचना, मैसेज या ओटीपी के *पोस्टपेड सिम* में परिवर्तित किया जा रहा है। यह घटनाएं खास तौर पर *वसई-विरार, मुंबई* क्षेत्र से सामने आई हैं, जहां बड़ी संख्या में लोगों ने एयरटेल की इस कथित धोखाधड़ी के खिलाफ आवाज उठाई है। ग्राहकों का कहना है कि उन्हें इस परिवर्तन की जानकारी तब मिली जब उनके मोबाइल पर पोस्टपेड बिल और बकाया भुगतान के संदेश आने लगे।
ग्राहकों ने बताया कि शिकायत करने पर उन्हें एयरटेल ग्राहक सेवा से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। कई बार शिकायत करने के बाद भी या तो कॉल डिस्कनेक्ट कर दी जाती है या उन्हें गलत जानकारी देकर गुमराह किया जाता है। उपभोक्ताओं का यह भी कहना है कि जब वे एयरटेल के स्थानीय ऑफिस पहुंचते हैं, तो वहां के कर्मचारी उनसे बात करने से भी कतराते हैं और शिकायतों को नजरअंदाज कर देते हैं। इस तरह की लापरवाही और जवाबदेही की कमी के कारण ग्राहकों में भारी रोष देखा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, एयरटेल की यह कथित गतिविधि न केवल ग्राहकों के विश्वास को ठेस पहुंचा रही है, बल्कि यह *टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI)* के नियमों का भी उल्लंघन है। नियमों के तहत, किसी भी ग्राहक की सिम सेवा में बदलाव — चाहे वह प्रीपेड से पोस्टपेड हो या पोस्टपेड से प्रीपेड — केवल ग्राहक की अनुमति और ओटीपी सत्यापन के बाद ही किया जा सकता है। ग्राहकों का कहना है कि उनके साथ ऐसा कोई सत्यापन नहीं हुआ और कंपनी ने एकतरफा कार्रवाई कर दी।
वसई-विरार क्षेत्र में इस मामले के बढ़ने के बाद अब अन्य शहरों से भी इसी तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि वे अब *उपभोक्ता फोरम* और *टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी* में इसकी औपचारिक शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं। ग्राहकों का आरोप है कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि एक तरह की *अवैध वसूली* है, क्योंकि बिना सहमति के पोस्टपेड सेवा चालू कर दी गई और बिल जारी किए जा रहे हैं।
स्थानीय उपभोक्ता संगठनों ने इस मामले की जांच की मांग की है और कहा है कि अगर एयरटेल ने जल्द ही स्थिति स्पष्ट नहीं की तो कंपनी के खिलाफ सामूहिक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ग्राहकों ने अपील की है कि सरकार और टेलीकॉम विभाग इस मामले में दखल दें ताकि उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा हो सके और भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी रोकी जा सके।

















