तेजस क्रैश से भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट को बड़ा झटका

दुबई एयर शो में भारत के स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त होना भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयासों को बड़ा झटका है। लड़ाकू विमान की दुर्घटना ऐसे समय में हुई है, जब भारत इस विमान को अंतरराष्ट्रीय खरीददारों को बेचने की कोशिश कर रहा था।लाइव वेट कॉम्बैट फाइटर जेट तेजस के निर्माण में कई तकनीकी चुनौती और देरी का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद हाल के वर्षों में यह विमान बेहतरीन विमान के रूप में उभरा है। इसकी बेहतरीन क्षमता को देखते हुए इसी साल भारतीय वायुसेना ने एडवांस वर्जन के 180 तेजस लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया है।

दुर्घटना से विमान की छवि को पहुंचा नुकसान

तेजस जहां एक ओर हाल के वर्षों में बेहतरीन विमानों के रूप में उभककर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा था, वहीं दुबई एयर शो में यह दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हजारों दर्शकों के सामने हुई, जिससे विमान की छवि को नुकसान पहुंचा है। भारतीय वायु सेना ने दुर्घटना के कारणों की जांच के आदेश दिए हैं। भारत मिस्र, आर्मेनिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को यह लड़ाकू विमान बेचने की उम्मीद कर रहा था। अब तक तेजस का सुरक्षा रिकॉर्ड अच्छा रहा है, इससे पहले केवल एक विमान इंजन खराब होने के कारण क्रैश हुआ हैतेजस की किफायती कीमत, तकनीक साझा करने का भारतीय वादा, विभिन्न हथियारों और सेंसर को जोड़ने की क्षमता, और आने वाले वर्षों में 220 से अधिक विमानों के सेवा में आने की संभावना, इसे छोटे देशों के लिए वायु शक्ति बढ़ाने का एक मजबूत विकल्प बनाती है।

2014 के बाद सरकार ने रक्षा निर्यात नियम में किया बदलाव

2014 के बाद से, भारत ने रक्षा निर्यात में एक बड़ा बदलाव किया है। सरकार निर्माताओं को वैश्विक बाजारों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। भारत रॉकेट, मिसाइल, गोला-बारूद, वायु रक्षा प्रणाली, बख्तरबंद वाहन और ड्रोन जैसे रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है।यूरोप और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्षों के कारण विस्फोटक और गोला-बारूद की वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है। इसके चलते भारत के रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये को पार कर गया है।

2029 तक 50 हजार करोड़ के निर्यात का लक्ष्य

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2029 तक सालाना 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है। अमेरिका, आर्मेनिया और फ्रांस भारत के प्रमुख रक्षा निर्यात गंतव्य हैं, जबकि फिलीपींस, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे एशियाई देशों में नए बाजार उभर रहे हैं।

 

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