मुजफ्फरनगर में विश्व ध्यान दिवस पर बालिकाओं को मेडिटेशन का महत्व बताया गया

मुजफ्फरनगर। जनपद में विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन जिलाधिकारी उमेश मिश्रा एवं मुख्य विकास अधिकारी  कमल किशोर देश भूषण के निर्देशन तथा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. राजीव कुमार द्वारा किया गया, जिसमें बालिकाओं को विश्व ध्यान दिवस और ध्यान (मेडिटेशन) के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।कार्यक्रम के दौरान डॉ. राजीव कुमार ने उपस्थित बालिकाओं को बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित किया गया है और प्रथम विश्व ध्यान दिवस मनाया गया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, जो वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और जिसे ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है, उसी प्रकार 21 दिसंबर को ध्यान दिवस मनाने का भी विशेष महत्व है।

21 दिसंबर वर्ष की सबसे लंबी रात होती है, जिसे शीत संक्रांति कहा जाता है। यह दिन अंधकार से प्रकाश की ओर परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है, जो ध्यान की मूल भावना से जुड़ा हुआ है।डॉ. राजीव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व ध्यान दिवस का मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। आज के समय में तनाव, चिंता और बेचैनी आम समस्याएं बनती जा रही हैं, जिनसे निपटने में ध्यान एक प्रभावी साधन है। उन्होंने बताया कि ध्यान एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है और इससे मानसिक संतुलन मजबूत होता है। मेडिटेशन का वैज्ञानिक महत्व भी है, क्योंकि यह केवल एक प्राचीन अभ्यास नहीं रह गया है, बल्कि आधुनिक विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिक शोधों ने भी इसके सकारात्मक प्रभावों की पुष्टि की है।कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि ध्यान करने से तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से अधिक शांत और स्थिर महसूस करता है। नियमित ध्यान अभ्यास से भावनात्मक संतुलन बना रहता है और व्यक्ति अपनी भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण रख पाता है। इसके साथ ही ध्यान से नींद की गुणवत्ता में भी सुधार होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।डॉ. राजीव कुमार ने बालिकाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि ध्यान से मन एकाग्र होता है और शांत मन का सीधा प्रभाव स्वास्थ्य, पढ़ाई और जीवनशैली पर पड़ता है। यदि छात्राएं नियमित रूप से ध्यान करें तो वे न केवल शैक्षिक क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं, बल्कि जीवन की चुनौतियों का सामना भी आत्मविश्वास के साथ कर सकती हैं।इस अवसर पर कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय बुढाना से पूनम शर्मा और सविता स्वामी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनके सहयोग से कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराया गया। आयोजन के अंत में उपस्थित बालिकाओं ने ध्यान के महत्व को समझते हुए इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।

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