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पर्यावरण को नुकसान पंहुचाए बिना जरूरतों को पूरा करने की क्षमता विकसित करनी होगी

लखनऊ । बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय तीन दिवसीय वार्षिक गोष्ठी का समापन सोमवार को हुआ। उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड इकोनॉमिक एसोसिएशन एवं अंबेडकर स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज बीबीएयू की ओर से समानता के साथ विकास को कायम रखना: 21वीं सदी में क्षेत्रीय विकास, व्यापार और सामाजिक सुरक्षा विषय पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी।मुख्य अतिथि नाबार्ड, श्रेत्रीय‌ कार्यालय लखनऊ के चीफ जनरल मैनेजर एसके डोरा ने कहा कि सतत विकास के माध्यम से वर्तमान में पर्यावरण व अन्य क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाये बिना हमें भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता को विकसित करना होगा। तभी ही हमारा राष्ट्र वास्तविक रूप से प्रगति पथ पर अग्रसर होगा। डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो एस विक्टर बाबू ने कहा कि पर्यावरण के चिंतकों को‌ पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न‌ तरीकों की खोज करनी होगी। क्योंकि पर्यावरण को अब तक हुए नुकसान को तब तक नहीं बदला जा सकता जब तक हम सामूहिक रूप से इस समस्या पर विचार नहीं करते। इसीलिए इस क्षेत्र में हम सभी को गंभीरता के साथ कदम उठाने होंगे‌। डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के पूर्व कुलपति प्रो अशोक मित्तल ने आर्थिक विकास को आज की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय एवं सकल‌ घरेलू उत्पाद में वृद्धि करके आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एनएमपी वर्मा ने कहा कि शिक्षा को मूलभूत आवश्यकताओं में सम्मिलित किया जाना चाहिए। क्योंकि शिक्षा के माध्यम से ही अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि सभी क्षेत्रों में देश की वास्तविक छवि को सुधारा जा सकता है।

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