अल्मोड़ा:उत्तराखंड की सबसे गंभीर समस्या पलायन को रोकने के लिए अल्मोड़ा में महाराष्ट्र की तर्ज पर कृषि पर्यटन आधारित महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की गई है। मॉडल आजीविका क्लस्टर धामस नाम की परियोजना के अंतर्गत तीन गांवों के किसानों को सामूहिक खेती से जोड़कर किसानों का खेती के प्रति रुझान लौटाने का प्रयास किया जा रहा है।इसे कृषि पर्यटन पार्क के रूप में भी विकसित किया जाएगा। प्रशासन को उम्मीद है कि यह प्रयोग सकारात्मक परिणाम दे सकता है।
जिलाधिकारी विनीत तोमर और मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे की पहल पर हवालबाग विकासखंड के तीन गांवों खूंट, धामस और भाकड़ के किसानों की करीब 200 एकड़ भूमि को प्रशासन ने एक फार्म के रूप में चिह्नित किया है। इसमें कृषि समेत सात विभाग अपने विभाग से संबंधित योजनाओं को विकसित करने में जुटे हैं।
यहां किसान मौसम के हिसाब से आपस में मिलकर खेती करेंगे। कृषि विभाग को नोडल एजेंसी के रूप में पूरे क्षेत्र की फेंसिंग कराने की जिम्मेदारी दी गई है। रेशम विभाग रेशम कीट पालन, डेयरी विभाग डेरी उद्योग,, उद्यान विभाग को कीवी,सेब फल उत्पादन के अलावा संबंधित काम करेंगे। उनके उत्पाद बिकवाने की जिम्मेदारी प्रशासन की रहेगी। प्रशासन का दावा है कि करीब चार सौ परिवार इस योजना से जुड़ने की सहमति दे चुके हैं।
प्रशासन उपलब्ध कराएगा बाजार
प्रशासन सात विभागों के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र मटेला, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान हवालबाग, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिकों की मदद ल रहा है। सरकारी अधिकारियों का दावा है कि ये प्रयोग खेती के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाने और खेती छोड़कर पलायन कर रहे लोगों को वापस लाने में सक्षम साबित होगा।
पलायन रोकने और विकास के लिहाज से यह अति महत्वपूर्ण योजना है। इसकी सफलता से अन्य क्षेत्रों को भी ऐसा समन्वित प्रयास करने की प्रेरणा मिलेगी। यहां कृषि आधारित पर्यटन की भी तमाम संभावनाएं हैं।
– आकांक्षा कोंडे , मुख्य विकास अधिकारी, अल्मोड़ा