उत्तर प्रदेश में अब शिक्षकों के अवकाश लेने के नियमों में बदलाव किए गए हैं. बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल की ओर से जारी आदेश के अनुसार, अब परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों, साथ ही अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के अवकाश ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत स्वीकृत होंगे.निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने कहा कि यह कदम शैक्षिक हितों को सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया है, ताकि शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय में उपस्थित रहें और छात्रों की शिक्षा प्रभावित न हो.
अवकाश की प्रक्रिया में होगी सख्ती
नियमों का पालन न होने से छात्रों और विद्यालयों के शैक्षिक हितों पर बुरा असर पड़ता है. अब अवकाश की स्वीकृति केवल ऑनलाइन ही की जाएगी, और जिन शिक्षकों ने बिना स्वीकृत अवकाश के विद्यालय से अनुपस्थित रहने की कोशिश की, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.प्रधानाध्यापकों और शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी
लंबे समय से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर संबंधित प्रधानाध्यापकों, खंड शिक्षा अधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दोषी ठहराया जाएगा. उन्हें भी संबंधित कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही, शिक्षक और कर्मचारी यदि बिना स्वीकृत अवकाश के अनुपस्थित पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद कर्मचारी वर्ग नियमावली-1973 और उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली 1999 के तहत कार्यवाही की जाएगी.
बिना छुट्टी गायब रहने वाले शिक्षक और कर्मचारियों पर सख्ती
बेसिक शिक्षा विभाग ने कई बार औचक निरीक्षण में पाया कि शिक्षक और कर्मचारी बिना छुट्टी के अनुपस्थित रहते थे. ऐसे मामलों को ध्यान में रखते हुए विभाग ने कार्रवाई की योजना बनाई है. इसके अलावा, न्यायालय में लंबी अनुपस्थिति के बावजूद देयकों का भुगतान करने के मामलों में भी सख्त कदम उठाए गए हैं.
बेसिक शिक्षा निदेशक का बयान
निदेशक ने कहा कि सभी शिक्षकों के अवकाश अब ऑनलाइन स्वीकृत किए जाएंगे. जिन शिक्षकों ने बिना स्वीकृत अवकाश के अनुपस्थित रहने की कोशिश की, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. साथ ही, लंबे समय से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को दोबारा कार्यभार ग्रहण करने से पहले जांच का सामना करना होगा. यह कदम उत्तर प्रदेश में शिक्षकों और कर्मचारियों के बीच अनुशासन बनाए रखने और शैक्षिक मानकों में सुधार लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.