मीरापुर विधानसभा उपचुनाव के दौरान सामने आई धांधली की घटनाओं ने न केवल चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि लोकतंत्र की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई है। जनता और विपक्षी दलों ने सत्ता पक्ष पर चुनाव जीतने के लिए दबाव और अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। खासतौर पर ककरौली थाना क्षेत्र के थाना प्रभारी (SHO) पर वोटर्स को डराने-धमकाने के आरोप लगे हैं। **आरोप और घटनाएं:** स्थानीय मतदाताओं ने आरोप लगाया है कि ककरौली थाना क्षेत्र के SHO ने रिवॉल्वर दिखाकर वोटर्स को डराने का प्रयास किया। कई चश्मदीदों ने यह भी दावा किया है कि पुलिसकर्मियों को पत्थर और हथियार लेकर मतदाता केंद्रों के पास घूमते हुए देखा गया। इस भय के माहौल में कई लोगों ने मतदान केंद्र पर जाने की हिम्मत नहीं जुटाई। यह स्थिति न केवल लोकतंत्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि आम जनता के अधिकारों का भी हनन करती है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया: विपक्षी दलों ने इसे सत्ता पक्ष का सुनियोजित षड्यंत्र करार दिया है। उनका आरोप है कि सत्ता में बैठे लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से निम्नलिखित मांग की है:
1. मीरापुर उपचुनाव को रद्द कराकर फिर से मतदान कराया जाए।
2. ककरौली थाना क्षेत्र के SHO को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।
3. पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए एक समिति गठित की जाए।
4. दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
जनता की प्रतिक्रिया और आक्रोश: मीरापुर क्षेत्र की जनता इस घटना से आक्रोशित है। कई मतदाताओं ने मीडिया के सामने यह आरोप लगाया है कि उन्हें अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करने से रोका गया। जनता का कहना है कि अगर इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा।
चुनाव आयोग की जिम्मेदारी पर सवाल: चुनाव आयोग पर निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने की जिम्मेदारी है। ऐसे में यह घटनाएं आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाती हैं। नागरिकों और विपक्षी दलों का कहना है कि अगर समय रहते इन घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर हो जाएगी।
आगे की कार्रवाई की मांग: विपक्षी दलों और नागरिक समाज ने तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि लोकतंत्र की पवित्रता को बनाए रखने के लिए निष्पक्ष जांच और सख्त कदम उठाना बेहद जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह पूरे राज्य की राजनीतिक व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
निष्कर्ष: मीरापुर उपचुनाव में सामने आए इन आरोपों ने लोकतंत्र की बुनियादी अवधारणा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को कठोर कदम उठाने होंगे। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से ही जनता का विश्वास फिर से बहाल हो सकता है।

















