उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की वुड कार्विंग इंडस्ट्री ने वर्षों की मेहनत से न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यह उद्योग करीब 1600 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करता है और 30 हजार से ज्यादा कारीगरों को रोजगार देता है। सहारनपुर की नक्काशीदार लकड़ी की चीजें अमेरिका, यूरोप, मिडिल ईस्ट और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में निर्यात की जाती हैं।
लेकिन अब इस इंडस्ट्री पर अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ (आयात शुल्क) का साया मंडरा रहा है। अमेरिका ने भारतीय वुड कार्विंग प्रोडक्ट्स पर 20% से ज्यादा टैक्स बढ़ा दिया है, जिससे वहां के खरीदार सहारनपुर की चीजों से दूरी बनाने लगे हैं।
व्यापारियों के मुताबिक, अमेरिकी बाजार सहारनपुर के लिए सबसे बड़ा निर्यात केंद्र था, लेकिन अब ऑर्डर में 40% तक की गिरावट आई है। इससे न केवल व्यापार प्रभावित हो रहा है, बल्कि हजारों कारीगरों की रोजी-रोटी पर भी खतरा पैदा हो गया है।
कारण क्या है?
- अमेरिका के ट्रेड प्रोटेक्शनिज्म पॉलिसी के तहत भारत पर टैरिफ बढ़ाए गए।
- स्थानीय अमेरिकी उत्पादों को बढ़ावा देने की नीति अपनाई जा रही है।
- भारत-अमेरिका व्यापार समझौतों में खिंचतान के चलते यह स्थिति बनी है।
प्रभाव:
- सहारनपुर के लगभग 200 निर्यातकों का व्यापार प्रभावित।
- कई छोटे यूनिट बंद होने की कगार पर।
- कारीगरों को या तो काम से निकाला जा रहा है या आधा वेतन दिया जा रहा है।
व्यापारियों की मांग:
- केंद्र सरकार अमेरिका के साथ वार्ता कर टैरिफ कम करवाए।
- निर्यातकों को कुछ समय के लिए सब्सिडी या टैक्स में छूट दी जाए।
- नए बाजार जैसे अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया में भारतीय प्रोडक्ट्स को प्रमोट किया जाए।
सहारनपुर की लकड़ी की कला भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। अगर यह संकट जल्द नहीं टला, तो एक ऐतिहासिक हस्तकला उद्योग की पहचान खो सकती है।