बेंगलुरु में एक AI इंजीनियर की आत्महत्या के मामले में अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को एक चिट्ठी लिखकर इस मामले में गंभीर आरोपों की जांच की मांग की है. चिट्ठी में आरोप लगाया गया है कि जौनपुर फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज के खिलाफ भी नोट के आधार पर उक्त जज के खिलाफ कार्रवाई की जाए. वकील ने लिखा कि अतुल सुभाष को भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और उत्पीड़न के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया.वकील ने इन आरोपों की जांच के लिए कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि बेंगलुरु पुलिस ने आत्महत्या के नोट के आधार पर अभियुक्तों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, तो उसी आधार पर जज के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती? इस मामले में वकील ने यह भी सवाल उठाया कि जज के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही, जबकि बेंगलुरु पुलिस ने परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. उनका कहना है कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
जज पर क्यों उठे सवाल?
अतुल ने अपने वीडियो में बताया कि जब उसने कोर्ट में आत्महत्या की बात की, तो जज को इस पर हंसी आई. इसके अलावा, अतुल का आरोप है कि जज ने केस सेटल करने के लिए उनसे 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगी. उन्होंने कहा कि जज के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत करते हुए यह भी बताया कि कोर्ट में तारीख तय करने के लिए पेशकार को भी घूस देनी पड़ती थी.अतुल ने यह भी कहा कि साल 2022 में पेशकार के जरिए उनसे 3 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी. घूस देने से मना करने पर कोर्ट ने उनके खिलाफ एलिमनी और मेंटिनेंस का आदेश जारी कर दिया, जिसके तहत उन्हें हर महीने अपनी पत्नी को 80 हजार रुपये देने का फैसला सुनाया गया.
5 के खिलाफ एफआईआर दर्ज
बेंगलुरु पुलिस ने पत्नी निकिता सिंघानिया समेत पांच लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है. यह मामला अतुल के भाई की तहरीर पर सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपनी मौत के लिए पांच लोगों को जिम्मेदार ठहराया है. अतुल ने एक वीडियो में आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने उसे परेशान किया और जौनपुर स्पेशल फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक ने भी उसे न्याय नहीं दिया. अतुल का कहना था कि उसे कोर्ट से निराशा ही मिली और किसी ने भी उसकी मदद नहीं की.