भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) द्वारा प्रस्तुत सुझाव भारतीय कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को संबोधित करने और किसानों की समस्याओं का समाधान करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। सरकार के आगामी बजट से इन मुद्दों पर प्रभावी कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है।
प्रस्तावित सुझाव निम्नलिखित हैं:
- एमएसपी सुधार: उत्पादन लागत (C2) के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण, साथ ही कटाई के बाद की लागत और जोखिमों को एमएसपी में शामिल करना।
- आयात-निर्यात नीति: एमएसपी से कम कीमत पर कृषि उत्पादों का आयात प्रतिबंधित करना और निर्यात मूल्य निर्धारण को परिस्थितियों के आधार पर लागू करना।
- फसल बीमा योजना: छोटे किसानों के लिए शून्य प्रीमियम और वास्तविक नुकसान का मुआवजा सुनिश्चित करना।
- पीएम-किसान योजना: मौजूदा वार्षिक राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये करना।
- कृषि ऋण: समय पर भुगतान करने वाले किसानों के लिए 1% ब्याज दर और क्रेडिट सीमा को 6 लाख रुपये तक बढ़ाना।
- जीएसटी में छूट: कृषि उपकरण, खाद, बीज आदि को जीएसटी से मुक्त करना।
- मंडियों का विस्तार: हर 5 किमी पर मंडी बनाना और किसानों को भंडारण, पैकेजिंग और ग्रेडिंग सुविधाएं प्रदान करना।
- जलवायु परिवर्तन से निपटना: नई बीज और कीट प्रबंधन योजनाओं का विकास करना।
- कृषि आधारित उद्योग: ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना।
- संविधान में संशोधन: कृषि को समवर्ती सूची में लाना और एक केंद्रीय कृषि सेवा का गठन।
ये सुझाव कृषि क्षेत्र में सुधार लाने और किसानों की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक सार्थक कदम हो सकते हैं। सरकार द्वारा इन पर विचार करने और क्रियान्वयन करने से किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।