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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, महिला तलाक के बाद अपने पहले पति पर क्रूरता का केस नहीं लगा सकती

सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला द्वारा अपने पहले पति के खिलाफ तलाक लेने के छह महीने बाद शुरू की गई आईपीसी की धारा 498ए (पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा पत्नी के खिलाफ मानसिक क्रूरता) के तहत आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया.

महिला ने दर्ज कराई शिकायत

छह महीने पहले एक महिला ने अपने पूर्व पति के खिलाफ कार्रवाई की थी. महिला की शादी नवंबर 1996 में अरुण जैन से हुई थी और वो एक बेटी हैं.. पति ने अप्रैल 2007 में वैवाहिक घर छोड़ दिया. जिसके बाद पत्नी ने तलाक की कार्यवाही शुरू की और इसके बाद इन दोनों का तलाक हो गया. तलाक लेने के छह महीने बाद महिला ने दर्ज कराई शिकायत की. महिला ने पति के खिलाफ धारा 498ए के तहत दर्ज कराई शिकायत.

जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने फरवरी 2014 में एफआईआर दर्ज की और आरोपपत्र बनाया. जिसके बाद महिला के पति ने आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में केस आगे बढ़ाया.

हाई कोर्ट ने शख्स की याचिका की खारिज

फरवरी 2014 में महिला की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की जिसके बाद 2015 में इस मामले को लेकर चार्जशीट दायर की. इस केस के होने के बाद महिला के पहले पति ने इस केस को खत्म करने के लिए हाई कोर्ट का साहार लिया. जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी. पति ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा कि शादी के बाद सभी पहलू को देख कर पारिवारिक अदालत ने दोनों कपल को अलग कराया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कि जांच

सुप्रीम कोर्ट ने जांच करने के बाद अनुच्छेद 142 के तहत ये कहा कि शख्स की अपील को स्वीकार करते हुए और ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर विचार न करने के हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए, पीठ ने आईपीसी की धारा 498 ए के तहत एफआईआर और उसके बाद की कार्यवाही को रद्द कर दिया.

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