जयपुर जिले में ‘रास्ता खोजयपुर जिले में ‘रास्ता खोलो अभियान’ के तहत जिला प्रशासन ने 15 नवंबर से अब तक 173 बंद रास्तों को खुलवाने में सफलता हासिल की है। शुक्रवार को अभियान के तहत 41 रास्ते खोले गए। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के निर्देश पर चलाए जा रहे इस अभियान में प्रशासनिक अधिकारियों ने संबंधित क्षेत्रों में ग्रामीणों की सहमति एवं सहयोग से अतिक्रमण हटवाकर रास्ते खुलवाए।
अभियान की नोडल अधिकारी अतिरिक्त जिला कलक्टर सुमन पंवार ने बताया कि आमेर, शाहपुरा, सांगानेर, चौमूं, फुलेरा, रामपुरा-डाबड़ी, जोबनेर, माधोराजपुरा समेत कई तहसीलों में रास्तों से अवैध कब्जे हटाए गए। उल्लेखनीय मामलों में किशनगढ़-रेनवाल के डूंगरसी का बास गांव में 45 साल और सांगानेर तहसील के नरवरिया गांव में 25 साल से बंद रास्ते फिर से खोले गए, जिससे हजारों ग्रामीणों को राहत मिली।
अभियान की जरूरत क्यों पड़ी?
ग्रामीण क्षेत्रों में रास्तों पर अवैध कब्जे की शिकायतें जनसुनवाई और न्यायालयों में लगातार बढ़ रही थीं। इससे आमजन को न्यायिक प्रक्रिया में समय और धन की हानि झेलनी पड़ रही थी। कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी। ‘रास्ता खोलो अभियान’ इसी समस्या के समाधान के लिए शुरू किया गया, जिसे ग्रामीणों का व्यापक समर्थन मिला है।लो अभियान’ के तहत जिला प्रशासन ने 15 नवंबर से अब तक 173 बंद रास्तों को खुलवाने में सफलता हासिल की है। शुक्रवार को अभियान के तहत 41 रास्ते खोले गए। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के निर्देश पर चलाए जा रहे इस अभियान में प्रशासनिक अधिकारियों ने संबंधित क्षेत्रों में ग्रामीणों की सहमति एवं सहयोग से अतिक्रमण हटवाकर रास्ते खुलवाए।
अभियान की नोडल अधिकारी अतिरिक्त जिला कलक्टर सुमन पंवार ने बताया कि आमेर, शाहपुरा, सांगानेर, चौमूं, फुलेरा, रामपुरा-डाबड़ी, जोबनेर, माधोराजपुरा समेत कई तहसीलों में रास्तों से अवैध कब्जे हटाए गए। उल्लेखनीय मामलों में किशनगढ़-रेनवाल के डूंगरसी का बास गांव में 45 साल और सांगानेर तहसील के नरवरिया गांव में 25 साल से बंद रास्ते फिर से खोले गए, जिससे हजारों ग्रामीणों को राहत मिली।
अभियान की जरूरत क्यों पड़ी?
ग्रामीण क्षेत्रों में रास्तों पर अवैध कब्जे की शिकायतें जनसुनवाई और न्यायालयों में लगातार बढ़ रही थीं। इससे आमजन को न्यायिक प्रक्रिया में समय और धन की हानि झेलनी पड़ रही थी। कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी। ‘रास्ता खोलो अभियान’ इसी समस्या के समाधान के लिए शुरू किया गया, जिसे ग्रामीणों का व्यापक समर्थन मिला है।