पंजाब की राजनीति में अहम माने जाने वाले तरन तारन उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ का प्रदर्शन किया है। आप उम्मीदवार हरमीत सिंह संधू ने 42,649 वोट हासिल कर 12,091 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। कुल 16 राउंड की मतगणना के बाद परिणाम स्पष्ट रूप से आम आदमी पार्टी के पक्ष में गया, जिसने इस मुकाबले को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण सेमीफाइनल माना था। शिरोमणि अकाली दल की उम्मीदवार प्रिंसिपल सुखविंदर कौर रंधावा 30,558 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। इस चुनाव में कुल 15 उम्मीदवार मैदान में थे, जिससे मुकाबला बहुकोणीय और काफी दिलचस्प बन गया था।
यह उपचुनाव आम आदमी पार्टी के दिवंगत विधायक कश्मीर सिंह सोहल के निधन के चलते आयोजित किया गया था, जो कैंसर से पीड़ित थे। सोहल ने 2022 के चुनाव में पहली बार आप के टिकट पर जीत दर्ज की थी और तीन बार के विधायक रहे एसएडी नेता हरमीत सिंह संधू को 13,588 वोटों से हराया था। उनकी असमय मृत्यु के बाद इस सीट पर उपचुनाव होना आवश्यक हो गया। इस बार आप ने हरमीत सिंह संधू को मैदान में उतारा और वह जीतकर इस सीट को दोबारा पार्टी की झोली में ले आए।
उपचुनाव में सबसे दिलचस्प प्रदर्शन ‘वारिस पंजाब दे’ की ओर से देखने को मिला, जो पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ रही थी। अमृतपाल सिंह की इस पार्टी के उम्मीदवार मनदीप सिंह खालसा ने 19,620 वोट हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया। यह नतीजा राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाने वाला लगा, क्योंकि यह दल पहली बार उपचुनाव लड़ रहा था और कांग्रेस तथा बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों से भी आगे निकल गया।
कांग्रेस ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाते हुए अपने स्टार प्रचारकों की पूरी टीम उतारी थी। पार्टी को उम्मीद थी कि वह इस उपचुनाव में कड़ा मुकाबला देगी, लेकिन परिणाम उसके लिए संतोषजनक नहीं रहे। कांग्रेस उम्मीदवार करणबीर सिंह बुर्ज केवल 15,078 वोट ही जुटा सके और चौथे स्थान पर रहे। वहीं, किसान आंदोलन के बाद पंजाब में बीजेपी के प्रति जनता की नाराजगी अब भी कम नहीं हुई है। इसका असर इस उपचुनाव में भी साफ नजर आया, जहां बीजेपी उम्मीदवार हरजीत सिंह संधू को केवल 6,239 वोट मिले।
तरन तारन उपचुनाव को पंजाब की आगामी राजनीति का रुझान बताने वाला माना जा रहा था, क्योंकि 2027 से पहले यह संभवतः अंतिम उपचुनाव था। सभी पार्टियों ने इसे 2027 के चुनावी समीकरण तैयार करने का अवसर माना था। लेकिन नतीजों ने दिखा दिया कि फिलहाल पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में आम आदमी पार्टी का प्रभाव कायम है और विपक्षी दल अभी भी जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने में संघर्ष कर रहे हैं। यह जीत आप को न सिर्फ आत्मविश्वास देगी बल्कि 2027 के चुनावी अभियान के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त भी प्रदान करेगी।

















