अलवर के निर्वाण वन फाउंडेशन में आयोजित भारत परिवार के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन “शिक्षा, स्वास्थ्य का बढ़ता व्यवसायीकरण एवं रोजगार की समस्या” विषय पर चर्चा हुई। राजस्थान विद्या पीठ, उदयपुर के प्रोफेसर हेमेंद्र चंडालिया ने डंकल प्रस्तावों के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र पर पूंजीपतियों और कॉरपोरेट घरानों के बढ़ते नियंत्रण पर चिंता जताई। उन्होंने लोक कल्याणकारी राज्य की पुनर्स्थापना और शिक्षा-स्वास्थ्य को आमजन के लिए सुलभ बनाने हेतु सामाजिक व राजनीतिक संघर्ष की आवश्यकता पर जोर दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता अनुपमा तिवाड़ी ने शिक्षा के निजीकरण और ठेकेदारी प्रथा पर चिंता व्यक्त करते हुए समान, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अनिवार्यता को रेखांकित किया। एआईसीटीयू के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी ने शिक्षा और स्वास्थ्य को नागरिकों का बुनियादी अधिकार बताया और इसे सहज उपलब्ध कराने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया।कार्यक्रम का संचालन संजीव आनंद और रामतरुण ने किया। सम्मेलन के आयोजक वीरेंद्र क्रांतिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम में 16 राज्यों से दो सौ से अधिक कार्यकर्ता उपस्थित हुए।