भारतीय नौसेना के द्विवार्षिक नेवल कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के पहले संस्करण का शुक्रवार को समापन हो गया। यह सम्मेलन 5 मार्च से लेकर 8 मार्च 2024 तक चला। जिसमें समुद्री सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा के मुद्दे पर फोकस किया गया।
इस दौरान भारतीय नौसेना की क्षमताओं को भी परखा गया।
नौसेना की रणनीतिक तैयारियों पर हुई चर्चा
नेवल कमांडर्स कॉन्फ्रेंस एक संस्थागत फोरम है, जिसमें सैन्य-रणनीतिक स्तर के अहम मुद्दों पर चर्चा होती है। इस सम्मेलन का आगाज नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य पर हुआ, जहां शीर्ष अधिकारियों ने बदलते वैश्विक परिदृश्य और बढ़ती चुनौतियों पर मंथन किया। इस कॉन्फ्रेंस में नौसेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ ही सीडीएस और भारतीय सेना के प्रमुख और वायुसेना चीफ भी शामिल हुए। यह सम्मेलन भारतीय नौसेना की भविष्य की तैयारियों के लिहाज से अहम है। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में रणनीतिक, ऑपरेशनल और प्रशासनिक महत्व के मुद्दों पर बात हुई।दुनिया इस समय अस्थिरता के माहौल से गुजर रही है। जहां एक तरफ रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध को दो साल बीत चुके हैं। वहीं इस्राइल हमास युद्ध भी लंबा खिंचता दिख रहा है। चीन का आक्रामक रुख जारी है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट पर हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर और अदन की खाड़ी में लगातार हमले किए जा रहे हैं। नौसेना ने ऐसे कई हमलों की घटनाओं में व्यापारिक जहाजों की मदद की है। साथ ही समुद्री लुटेरों के खिलाफ भी कार्रवाई की है। कॉन्फ्रेंस के दौरान नौसेना ने रात के समय चेतक हेलीकॉप्टर्स का आईएनएस विक्रांत से संचालन को परखा गया। साथ ही आईएनएस विक्रांत पर मिग-29 फाइटर जेट के संचालन को भी देखा गया।

















