चंद्रशेखर को मिला जीत का तोहफा।

बिजनौर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि नए नेता को मौका देने में जिले की जनता कोई कसर नहीं छोड़ती। एक और दलित नेता के लिए बिजनौर की धरती उपजाऊ साबित हुई। नगीना से पहली बार अपनी ही पार्टी आसपा के सिंबल पर चुनाव लड़े चंद्रशेखर ने करीब डेढ़ लाख वोटों से जीत हासिल की।इसे पश्चिम में एक बड़े दलित नेता का उदय माना जा रहा है, जो आने वाले विधानसभा चुनावों में भी अपना असर दिखाएगा। इतिहास पर नजर डालें तो यहां से चुनाव लड़े कई दलित नेता राजनीति के उच्च पदों तक पहुंचे। इनमें मायावती, मीराकुमार और रामविलास पासवान का जिक्र सबसे पहले होता है।

 

चंद्रशेखर ने पलट दिए सभी पार्टियों के समीकरण

नगीना लोकसभा सीट से चंद्रशेखर शुरूआत में सपा से टिकट मांग रहे थे। वहां सपा ने पूर्व अपर जिला जज मनोज कुमार को टिकट दे दिया। इसके बाद चंद्रशेखर अपनी आजाद समाज पार्टी के सिंबल केतली पर ही चुनाव लड़े।चुनाव शुरू हुआ तो इस सीट पर भाजपा, सपा और बसपा तीनों पार्टियों के समीकरण बिगाड़ दिए। दलित, मुस्लिमों में गहरी पैठ जमाई और इसके बाद भाजपा के कोर वोट में भी सेंधमारी कर दी। मतगणना में उनकी बढ़त ने यह साफ कर दिया।

गठबंधन नेता समझदारी दिखाते तो परिणाम अलग होता : चंद्रशेखरनगीना सीट से सांसद निर्वाचित होने वाले चंद्रशेखर ने कहा कि इंडिया गठबंधन के नेता यदि समझदारी दिखाते तो परिणाम और बेहतर हो सकते थे। इसके अलावा उन्होंने हर रोज जनता के लिए काम करने की बात कही। नगीना कीजनता ने जिस उम्मीद के साथ उन्हें आशीर्वाद देकर जिताया है, वह उन सभी की उम्मीद पर पूरी तरह खरा उतरेंगे। उन्होंने कहा कि नगीना की जनता के लिए वह अब हर रोज काम करके दिखाएंगे। चंद्रशेखर ने साफ सुथरी मतगणना कराने के लिए अधिकारियों का भी धन्यवाद किया।

 

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