चीन ने पानी को बनाया ‘हथियार’, 3 देशों में कोहराम, भारत ने भी दिया मुंहतोड़ जवाब

ऐसा लग रहा है कि चीन भारत के खिलाफ एक अलग तरीके के जंग की तैयारी में है. चीन त्सांगपो नदी पर अरुणाचल प्रदेश के करीब मेडोग में दुनिया के सबसे बड़े 60,000 मेगावाट के हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट ‘मोतुओ मेगा डैम’ के बनाने की तैयारी में है. आपको बता दें कि त्सांगपो नदी को भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहा जाता है. इस नदी से न केवल भारत बल्कि चीन, भूटान और बांग्लादेश के 1.8 अरब लोगों को पीने का पानी मिलता है. अगर चीन इस बांध को बनाने में सफल हो जाता है तो इसका इस्तेमाल एक भू-राजनीतिक हथियार के तौर पर कर सकेगा. वह सिंचाई, बिजली उत्पादन या बाढ़ नियंत्रण के लिए नदी के जलस्तर में हेरफेर कर सकता है. इसका सीधा असर भारत और बांग्लादेश पर पड़ेगा.चीन ने अब तक त्सांगपो नदी को नियंत्रित करने के लिए इसपर कई बांध का निर्माण किया है. चीन का यह ‘सबसे बड़ा डैम’ कम पानी के मौसम में नदी का बहाव कम कर सकता है और बारिश के मौसम में कृत्रिम बाढ़ ला सकता है. भारत ने इसी चिंता के कारण अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में सियांग नदी पर 11,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना का प्रस्तावित किया है. चीन ने इस बांध को इस तरह से प्रस्तावित किया है बारिश के समय एक बार में 9 अरब क्यूबिक मीटर पानी को संग्रहित किया जा सकता है. वहीं, चीन जब भी चाहेगा तब भारत के नीचली राज्यों अरुणाचल प्रदेश और असम में बाढ़ ला सकता है.

बेताहासा बाढ़ ला सकता है
गलवान कांड के भारत ने चीन के सभी पैंतरों पर नजर गड़ाए हुए है. वह लगातार चीन के हर पैंतरे का जवाब देता है. चीन बॉर्डर इलाकों में बुनियादी निर्माण करके न केवल साइकोलॉजिकल चाल चलता है बल्कि त्सांगपो नदी पर लगातार बांध का निर्माण करते रहा है. इन्हीं बांधों के क्रम में चीन मोतुओ मेगा डैम का निर्माण कर रहा है. इस डैम ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. अगर चीन पानी पर कंट्रोल कर लेता है तो नीचली इलाकों में अपने हिसाब से पानी के बहाव को कंट्रोल करेगा और कभी भी बाढ़ लाने में सक्षम रहेगा.

चीन की आदत काफी पुरानी है
आपको बताते चलें कि नदी के बहाव पर चीन के कंट्रोल करने और नीचली देशों को परेशान करने की आदत काफी पुरानी है. साल 2021 में चीन ने बिना किसी चेतावनी के मेकांक नदी के प्रवाह 21 दिनों तक 50 प्रतिशत तक कम कर दिया. जब बाद में बवाल मचा तो उसने सफाई देते हुए कहा कि बिजली लाइन के रखरखाव के कारण ऐसा किया गया था. लेकिन इससे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम में जलमार्गों के किनारे रहने वाले लाखों लोग प्रभावित हुए थे.

मेकांक नदी की पानी रोका
2019 में उसने मेकांक नदी बेसिन के पानी को रोका गया था. साथ भारी बारिश के बावजूद इस नदी पर आश्रित देशों में भारी सूखे का सामना करना पड़ा था. 2019 में थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम ने अब तक के सबसे भीषण और लंबे समय तक चलने वाले सूखे का सामना किया है. इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा पर इसका बुरा असर पड़ा है. किसानों की फ़सलें बर्बाद हो गई हैं, मछलियों की आबादी कम हो गई है और जलाशयों का जलस्तर ख़तरनाक स्तर तक कम हो गया है.

सियांग का पानी का पानी काला हो गया था
2017 की बात करते हैं. सियांग नदी ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है. 2017 में सियांग का पानी काला हो गया था. इसका पानी पीने लायक नहीं रह गया था. इससे पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा था. स्थानीय कृषि उत्पादन बाधित हुआ था. सियांग का पानी काला होने के लिए भारत ने इसके लिए खुलकर चीन को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि, चीन ने इन आरोपों को बेहद चौकाने वाला बताते हुए खारिज कर दिया था.

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