मुजफ्फरनगर। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, फेडरेशन पेपर मिल एसोसिएशन और लघु उद्योग भारती के संयुक्त तत्वाधान में फेडरेशन भवन, मेरठ रोड पर एक महत्वपूर्ण उद्योगों द्वारा आरडीएफ (रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल) के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को लेकर चल रही चर्चाओं पर स्थिति स्पष्ट करना और उद्योगों से जुड़े वास्तविक तथ्यों को सामने रखना रहा।पेपर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने कहा कि मुजफ्फरनगर में उद्योगों को प्रदूषण का मुख्य कारण बताकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, वे तथ्यहीन हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उद्योगों से निकलने वाला उत्सर्जन निर्धारित मानकों के अनुरूप होता है और उसका निस्तारण वैज्ञानिक व नियंत्रित तरीके से किया जाता है। उद्योगों में उपयोग होने वाले ईंधन और अपशिष्ट को जलाने की प्रक्रिया से किसी प्रकार का अतिरिक्त या हानिकारक प्रदूषण उत्पन्न नहीं हो रहा है।उन्होंने बताया कि प्रत्येक औद्योगिक इकाई में ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया है, जिसका डेटा 24 घंटे यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजा जाता है। पंकज अग्रवाल ने यह भी कहा कि जब फैक्टरियां बंद रहती हैं, उस समय भी एक्यूआई में कमी नहीं आती, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण के लिए केवल उद्योग
जिम्मेदार नहीं हैं।उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर की तुलना में मेरठ, गाजियाबाद, दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरों में एक्यूआई अधिक रहता है। वहीं बिजनौर जैसे जनपद, जहां आरडीएफ का उपयोग नहीं होता, वहां भी वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़ा हुआ पाया जाता है। सर्दियों में हवा की गति कम होने और वायुमंडल की संरचना बदलने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, क्योंकि भारी हवा नीचे ही रुक जाती है और ऊपर की ओर प्रवाहित नहीं हो पाती। यह भी बताया गया कि आरडीएफ का इस्तेमाल स्वच्छ भारत अभियान के तहत किया जा रहा है। दिल्ली में आरडीएफ आधारित कई बॉयलर पहले से संचालित हैं और आने वाले समय में तीन नए बॉयलर लगाए जाने की योजना है। सरकार द्वारा आरडीएफ को प्राथमिकता दी जा रही है क्योंकि यह पर्यावरण अनुकूल ईंधन है। भारत में कोयले की कमी के कारण हर साल करोड़ों टन कोयला आयात करना पड़ता है, जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च होती है। आरडीएफ के उपयोग से कचरे के ढेर भी कम होते हैं और ऊर्जा उत्पादन का वैकल्पिक स्रोत मिलता है।इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के नेशनल सेक्रेट्री कुश पुरी ने कहा कि उद्योगों में आरडीएफ का उपयोग सीपीसीबी, यूपीपीसीबी और सीएक्यूएम द्वारा निर्धारित नियमों के अंतर्गत ही किया जा रहा है। आरडीएफ का उपयोग केवल उद्योगों में ही नहीं, बल्कि नगर निकायों द्वारा भी ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा रहा है। चूंकि मुजफ्फरनगर एनसीआर का हिस्सा है, इसलिए यहां उद्योगों की निगरानी के लिए केंद्रीय एजेंसियां भी सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं।इस अवसर पर प्रभात कुमार ने बताया कि उन्होंने जनपद की प्रमुख औद्योगिक इकाइयों से जुड़े उत्सर्जन और पर्यावरणीय आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन किया है। अध्ययन के आधार पर उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिए केवल उद्योगों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई अन्य कारण भी होते हैं। वास्तविक कारणों की पहचान के लिए सभी पहलुओं पर समान रूप से विचार किया जाना आवश्यक है।

















