दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 कांग्रेस के लिए एक ऐसा अध्याय बन गया है जिसे वह शायद ही कभी भूल पाए। कभी 15 साल तक राजधानी की सत्ता में रहने वाली पार्टी को इस बार एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस केवल तीन सीटों पर ही अपनी जमानत बचा सकी, जबकि उसके 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
तीन उम्मीदवार ही बचा सके जमानत
दिल्ली में 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार शासन करने वाली कांग्रेस ने सभी 70 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन सिर्फ तीन उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचाने में सफल रहे। इनमें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव, कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त और नागलोई जाट सीट से रोहित चौधरी शामिल हैं।
- देवेंद्र यादव (बादली): 41,071 वोट प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे।
- अभिषेक दत्त (कस्तूरबा नगर): जमानत बचाने में सफल रहे।
- रोहित चौधरी (नागलोई जाट): 32,028 वोट प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे।
बड़े नेताओं की भी जमानत जब्त
इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। कस्तूरबा नगर को छोड़कर अन्य सभी सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे या चौथे स्थान पर ही रहे। कई सीटों पर तो कांग्रेस को 8,000 से भी कम वोट मिले।
- देवेंद्र यादव (दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष): तीसरे स्थान पर रहे।
- अलका लांबा (कालकाजी): तीसरे स्थान पर रही।
- हारून यूसुफ (बल्लीमारान): तीसरे स्थान पर रहे।
- संदीप दीक्षित (पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे): जमानत नहीं बचा सके।
- राजेश लिलोठिया और अन्य वरिष्ठ नेता भी जमानत नहीं बचा सके।
कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का समय
कांग्रेस के लिए यह चुनाव स्पष्ट संकेत है कि पार्टी को दिल्ली में अपने जनाधार को फिर से स्थापित करने के लिए गंभीर आत्ममंथन करना होगा। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधी टक्कर में कांग्रेस पूरी तरह से हाशिए पर चली गई। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी आने वाले समय में खुद को कैसे पुनर्जीवित कर पाती है।