सहारनपुर। जिले के 21 गांवों में चकबंदी प्रक्रिया जारी है। इसके साथ ही सात गांवों की चकबंदी प्रक्रिया पूरी होकर धारा-52 प्रकाशित हो चुकी हैं।जिलाधिकारी ने सभी गांवों में चकबंदी प्रक्रिया को नियमानुसार जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
चकबंदी का मकसद है कि किसानों के बिखरे पड़े खेतों का चक एक स्थान पर कर दिया जाए। इससे किसानों को पैदावर करने में आसानी हो सकेगी। सिंचाई का प्रबंध करके कृषि पैदावार को बढ़ाया जा सकता हैं। किसानों का चक एक स्थान पर ही होने से उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है। वह कई फसलों को एक साथ खेतों में लगा सकते हैं।
हालांकि, कई गांव ऐसे हैं जहां चकबंदी प्रक्रिया किसानों के लिए सिरदर्द भी बन गई है। जिले के गांव डालामाजरा में वर्ष 1988 में चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई थी। चकबंदी प्रक्रिया के लंबे खींचने का सबसे बड़ा कारण आपसी सहमति का न होना और मामलों का न्यायालयों में विचाराधीन होना भी हैं।
– इन गांवों में जारी है चकबंदी प्रक्रिया
जिले के शेखपुर मुजाहिदपुर मुस्तकम, बहलोलपुर, डालामाजरा, कुंडाकलां, ढिक्काकला, नसरूल्लागढ़, मानपुर अहतमाल, भूकड़ी में चकबंदी प्रक्रिया जारी है। इसी तरह सुखेड़ी, कुरालकी, नानौता, देवबंद, चकरायबाड़ी, चकभगवती दास, मुजफ्फरपुर, खेड़ी मुस्तकम, मिर्जापुर रणखंड़ी, चंदेना कोली, कुलसठ, टोडरपुर और पुंडैन में चकबंदी प्रक्रिया जारी है।
– इन गांवों में हो चुकी धारा-52 प्रकाशित
जिले के सात गांवों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इन गांवों की धारा-52 प्रकाशित हो चुकी है। धारा-52 से मतलब है कि सभी खातेधारकों ने अपने जोत पर कब्जा कर लिया है। चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सभी अभिलेख राजस्व विभाग को सौंप दिए हैं। जिले के जानपुर माजरी, हलगोया, शेखपुरा कदीम, साखनकलां, मिरगपुर, कुरड़ी में धारा 52 प्रकाशित हो चुकी है।
– वर्जन
जिले के 21 गांवों मे नियमानुसार चकबंदी प्रक्रिया जारी है। जहां पर भी आपत्तियां प्राप्त हो रही है, वहां पर आपत्तियों का निस्तारण किया जा रहा है।हर माह चकबंदी प्रक्रिया की समीक्षा की जा रही है। प्रक्रिया में कहीं भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। – राजेश देवराज, एसओजी चकबंदी

















