जेल में इमरान खान को ‘धीमी मौत’ देने की साजिश? हेपेटाइटिस को लेकर परिवार के गंभीर आरोप

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर एक बार फिर गंभीर आरोप सामने आए हैं। साल 2023 से रावलपिंडी की आडियाला जेल में बंद इमरान खान के परिवार का दावा है कि उन्हें जानबूझकर ऐसी परिस्थितियों में रखा जा रहा है, जिससे उनकी सेहत लगातार बिगड़ती जाए और अंततः उनकी मौत हो जाए। इमरान खान के बेटे कासिम खान ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना उन्हें सीधे जहर या फांसी देने के बजाय हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारी के जरिए “धीमी मौत” देने की कोशिश कर रही है।

कासिम खान के मुताबिक, इमरान खान को जेल में बेहद अस्वच्छ माहौल में रखा गया है। जिस बैरक या क्षेत्र में वे बंद हैं, वहां साफ-सफाई का घोर अभाव है। पीने के पानी, शौचालय और रहने की जगह की स्थिति इतनी खराब है कि संक्रमण फैलने का खतरा हर समय बना रहता है। आरोप है कि उनके आसपास ऐसे कैदी रखे गए हैं, जो पहले से हेपेटाइटिस जैसी संक्रामक बीमारी से पीड़ित हैं और उनमें से कई की मौत भी हो चुकी है। परिवार का कहना है कि यह सब किसी हादसे का हिस्सा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है।

कासिम खान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से अपील की है कि वे इस मामले पर तुरंत ध्यान दें। उनका कहना है कि अगर समय रहते दबाव नहीं बनाया गया, तो इमरान खान की जान को गंभीर खतरा हो सकता है। परिवार का आरोप है कि इमरान खान को न तो पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं दी जा रही हैं और न ही स्वतंत्र डॉक्टरों से जांच की अनुमति मिल रही है। जेल प्रशासन पर यह भी आरोप है कि बीमारी के लक्षण दिखने के बावजूद समय पर इलाज नहीं कराया जा रहा।

इमरान खान पहले भी अपनी सेहत को लेकर चिंता जता चुके हैं। जेल में बंद रहने के दौरान उनके वजन घटने, कमजोरी बढ़ने और लगातार बीमार रहने की खबरें सामने आती रही हैं। समर्थकों का कहना है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री के साथ इस तरह का व्यवहार न केवल अमानवीय है, बल्कि यह पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था और लोकतंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

पाकिस्तान सरकार और सेना की ओर से इन आरोपों को सिरे से खारिज किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इमरान खान को जेल नियमों के अनुसार सभी सुविधाएं दी जा रही हैं और उनकी सेहत की नियमित जांच होती है। हालांकि, इमरान खान के परिवार और समर्थक इन दावों को झूठा बता रहे हैं और इसे केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने की कोशिश करार दे रहे हैं।

इस पूरे मामले ने पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल ला दिया है। इमरान खान के समर्थक इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं, जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता जेलों की स्थिति और कैदियों के स्वास्थ्य अधिकारों पर सवाल उठा रहे हैं। अब देखना यह है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और बढ़ते आरोपों के बीच पाकिस्तान सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या इमरान खान को समय रहते सुरक्षित और उचित इलाज मिल पाता है या नहीं।

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