चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार अब अफगानिस्तान तक किया जाएगा। हाल ही में बीजिंग में आयोजित त्रिपक्षीय बैठक में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इस पर सहमति बनी है। इस समझौते के तहत CPEC को काबुल तक जोड़ा जाएगा, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ेगी और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल को मजबूती मिलेगी।
इस कदम को लेकर रणनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा और प्रभाव को चुनौती देने की एक नई कोशिश हो सकती है। भारत पहले ही CPEC का विरोध करता रहा है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना अभिन्न हिस्सा मानता है।
अब अफगानिस्तान को शामिल करने से चीन और पाकिस्तान की मौजूदगी भारत की पश्चिमी सीमाओं तक और गहरी हो जाएगी। इस परियोजना का अफगानिस्तान में निवेश और पुनर्निर्माण की दिशा में एक कदम के रूप में भी प्रचार किया जा रहा है, लेकिन इसके भू-राजनीतिक निहितार्थ को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

















