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दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा.

दिल्ली हाईकोर्ट ने आबकारी नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा है। इस मामले में सीबीआई की ओर से केस दर्ज किया गया है। सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि सीबीआई का कहना है कि केजरीवाल ने शराब नीति पर हस्ताक्षर किए, लेकिन उनके अलावा 15 अन्य लोगों ने भी इस नीति पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें एलजी ने भी हस्ताक्षर किए हैं, इसलिए सीबीआई की दलील के मुताबिक, एलजी को भी आरोपी बनाना चाहिए। मुख्य सचिव और 50 अन्य नौकरशाहों को भी सह-आरोपी बनाया जाना चाहिए।

सीबीआई के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि अरविंद केजरीवाल को जमानत के लिए निचली अदालत का रुख करना चाहिए। सीबीआई ने ट्रायल कोर्ट में केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है और सिर्फ चार्जशीट दाखिल हो जाने से केजरीवाल जमानत के अधिकारी नहीं हो जाते।

सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को मिली राहत अंतरिम है

सीबीआई के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को मिली राहत अंतरिम है. मामले पर आगे संविधान पीठ सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के लिए ट्रिपल टेस्ट पर विचार नहीं किया है.जैसे-जैसे हम इस केस में जांच में आगे बढ़े, केजरीवाल की भूमिका सामने आने लगी. उनके खिलाफ और भी सबूत सामने आ रहे हैं.

उन्होंने कहा, अगर हमने यह सब पहले कोर्ट में रखा होता तो गवाहों को प्रभावित किए जाने और सबूतों के गायब होने की आशंका थी. केजरीवाल समेत सोमवार को जिन 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है, उनमें 5 को गिरफ्तार नहीं किया गया है. उनकी गिरफ्तारी के बाद हमें और सबूत मिले हैं.

केजरीवाल की गिरफ्तारी के बिना जांच पूरी नहीं हो पाती

सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बिना शराब नीति घोटाले की जांच पूरी नहीं हो पाती. वो इस घोटाले के साजिश के मुख्य सूत्रधार हैं. हर मंत्री को उन्होंने ही नियुक्त किया है. उन्होंने सचिवालय में अपने लोग रखे और विजय नायर भी उसी का हिस्सा थे.केजरीवाल कैबिनेट की अध्यक्षता कर रहे थे.

सीबीआई ने कहा कि उन्होंने (केजरीवाल) आबकारी नीति पर हस्ताक्षर किए. मंत्रिमंडल के उनके सहयोगियों ने भी एक ही दिन में फाइल में हस्ताक्षर कर दिए. ये सब कोविड के दौरान हुआ.इस मामले में 44 करोड़ रुपये की रकम का पता लगाया है. यह पैसा गोवा गया था. केजरीवाल ने खुद अपने उम्मीदवारों से कहा था कि पैसे की चिंता मत करो, चुनाव लड़ो.

केजरीवाल ने मंत्रिपरिषद से पुरानी तारीख में मंजूरी ली

वकील ने आगे कहा, हमने पंजाब सरकार के दो अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए जरूरी मंजूरी मांगी थी लेकिन राज्य सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया. ये केजरीवाल के रसूख की वजह से था. शराब नीति गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद केजरीवाल ने मंत्रिपरिषद से पुरानी तारीख में मंजूरी ली.

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