मुजफ्फरनगर। बुढ़ाना कस्बे के गणमान्य नागरिकों ने नगर पंचायत की बोर्ड बैठक के बाद सभासदों की मौजूदगी में नगर पंचायत अध्यक्षा को एक प्रार्थना पत्र सौंपकर यह मांग की है कि कस्बे में नगर पंचायत द्वारा निर्मित हो रही नई लाइब्रेरी का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रख्यात आलिम–ए–दीन हज़रत मौलाना सैयद हुसैन अहमद मदनी के नाम पर रखा जाए। नागरिकों ने अपने प्रार्थना पत्र में स्पष्ट किया कि यह लाइब्रेरी कस्बे के शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में एक अहम भूमिका निभाएगी। ऐसे में यदि इसका नाम मौलाना मदनी जैसे महान शख्सियत के नाम पर रखा जाता है तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।प्रार्थना पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि मौलाना हुसैन अहमद मदनी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सुनहरे पन्नों में दर्ज है। उन्होंने 1920 के खिलाफ़–ए–तहरीक, 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। अंग्रेज़ सरकार ने उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की और उन्हें करीब 18 वर्षों तक जेलों में कैद रखा। बावजूद इसके, मौलाना साहब ने हमेशा हिंदू–मुस्लिम एकता और गंगा–जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा देने का काम किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि हिंदू और मुसलमान भारत की दो आँखें हैं और आज़ादी तभी हासिल होगी जब दोनों मिलकर बलिदान देंगे।इसके अलावा, मौलाना मदनी दारुल उलूम देवबंद के एक प्रख्यात शिक्षक भी रहे। उन्होंने हजारों विद्यार्थियों को शिक्षा देकर समाज और देश की सेवा की। उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार ने भी 29 अगस्त 2012 को उनके सम्मान में पाँच रुपये मूल्य का डाक टिकट जारी किया था। इस ऐतिहासिक तथ्य का उल्लेख करते हुए नागरिकों ने कहा कि यदि बुढ़ाना कस्बे की यह नई लाइब्रेरी मौलाना मदनी के नाम से जानी जाएगी तो यह न केवल कस्बे बल्कि पूरे जनपद मुजफ्फरनगर के लिए गर्व का विषय होगा।इस अवसर पर कस्बे के समाजसेवी मौ0 आसिफ़ कुरैशी ने कहा कि “हम कस्बा वासियों ने नगर पंचायत चुनाव में भरपूर सहयोग किया है और हमें उम्मीद है कि हमारी यह मांग अवश्य पूरी होगी। नगर पंचायत अध्यक्षा हमारी भावनाओं का सम्मान करेंगी।” उन्होंने आगे कहा कि सभासद गण भी इस मांग का समर्थन करेंगे।गणमान्य नागरिकों का कहना है कि यह मांग केवल कुछ व्यक्तियों की नहीं बल्कि कस्बे के सैकड़ों ही नहीं बल्कि हजारों लोगों की सामूहिक आवाज़ है। इस दौरान तौसीफ राही, नौशाद काला पूर्व सभासद, अल्ताफ कुरैशी, हाजी फुरकान कुरैशी, आसिफ शरीफ कुरैशी, मन्नू कुरैशी, मौ0 आसिफ कुरैशी और शाहिद कुरैशी सहित बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे। सभी ने एक सुर में यह अपेक्षा जताई कि नगर पंचायत अध्यक्षा इस ऐतिहासिक और सराहनीय निर्णय को लेकर जनता की भावनाओं का सम्मान करेंगी और इस निर्माणाधीन लाइब्रेरी का नाम “मौलाना हुसैन अहमद मदनी लाइब्रेरी” रखा जाएगा।नागरिकों का मानना है कि इस निर्णय से न केवल मौलाना मदनी के योगदान को याद रखा जाएगा बल्कि यह नई पीढ़ी को भी प्रेरणा देगा कि देश की आज़ादी और समाज की तरक्की के लिए किस तरह से त्याग और बलिदान की आवश्यकता होती है। इस मांग ने पूरे कस्बे में चर्चा का माहौल बना दिया है और लोग नगर पंचायत से सकारात्मक फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
