गाजियाबाद।चीतल ग्रांड के मालिक और समाजसेवा के लिए जाने जाने वाले शारिक राणा को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को उनके आवास पर भावनाओं का समंदर उमड़ पड़ा। शहर के विभिन्न वर्गों से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित हुए और सभी ने इस सादगीपूर्ण, मगर प्रेरणादायक शख्सियत को याद किया। गाजियाबाद के जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा, गोरवा नंद जी महाराज (भूपखेड़ी आश्रम), वरिष्ठ लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता नादिर राणा, वरिष्ठ पत्रकार वशीम अहमद, बबलू शर्मा सहित कई सम्मानित हस्तियों ने उपस्थित होकर शारिक राणा को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा के दौरान वातावरण भावनाओं से भरा हुआ था। हर कोई उनके जिंदादिल स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व को याद कर रहा था। लोगों ने कहा कि कभी-कभी कुछ लोग इस दुनिया में सिर्फ जीने नहीं आते, बल्कि अपने कर्म, स्वभाव और जज़्बे से लोगों के दिलों में स्थायी जगह बना लेते हैं। शारिक राणा उन्हीं में से एक थे। उनकी मुस्कुराहट में अपनापन था और उनके व्यवहार में ऐसी इंसानियत झलकती थी, जो हर दिल को छू जाती थी।जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि शारिक राणा एक सच्चे और जिंदादिल इंसान थे। उनके व्यक्तित्व में सादगी थी, लेकिन सोच में गहराई थी। वे हर व्यक्ति का सम्मान करते थे और रिश्तों को निभाने का हक़ बखूबी अदा करना जानते थे। उन्होंने कहा कि शारिक राणा जैसे इंसान समाज में प्रेरणा का स्रोत होते हैं, जिनसे हर कोई कुछ न कुछ सीख सकता है।
उनकी धर्मपत्नी सबा राणा ने अपने पति को याद करते हुए भावनात्मक लम्हे साझा किए। उन्होंने कहा कि शारिक राणा सिर्फ परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए संबल बने रहे। वे हमेशा दूसरों के सुख-दुख में शामिल रहते थे। उनका कहना था कि “इंसान की पहचान उसके लिबास से नहीं, बल्कि उसके व्यवहार से होती है।” आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तब भी उनकी सीख और उनके कर्म लोगों के दिलों में जिंदा हैं।उनके पुत्र अली राणा अब अपने पिता की विरासत को संभाल रहे हैं — यह विरासत सिर्फ व्यवसाय या उपलब्धियों की नहीं, बल्कि इंसानियत, प्रेम और सम्मान की है। अली राणा के व्यक्तित्व में अपने पिता की वही सादगी, वही जज़्बा और वही जिम्मेदारी झलकती है, जो समाज के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
इस अवसर पर उनके करीबी मित्र मंसूर-उल-हक़ भी उपस्थित रहे। उन्होंने भावुक होकर कहा, “शारिक भाई जैसे लोग बहुत कम मिलते हैं। उनका दिल बहुत बड़ा था और आत्मा बेहद सच्ची थी। उन्होंने दोस्ती का जो रिश्ता निभाया, वह जीवन भर याद रहेगा।” सभा में उपस्थित सभी लोगों की आंखें नम थीं और उनके शब्दों में एक ही भावना झलक रही थी — “शारिक राणा चले गए, मगर एक मिसाल बन गए।”कार्यक्रम के अंत में सभी ने उनके लिए दुआएं मांगीं और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। हर किसी ने माना कि शारिक राणा की यादें हमेशा दिलों में जीवित रहेंगी।
“कुछ लोग चले जाते हैं, पर अपनी यादों के निशान छोड़ जाते हैं,
और वही निशान उन्हें अमर बना देते हैं।”शारिक राणा की यही अमिट मुस्कान, उनका जिंदादिल स्वभाव और उनकी इंसानियत भरी सोच हमेशा यादों में जीवित रहेगी। उनकी आत्मा को शांति और परिवार को संबल मिले — यही सभी की सच्ची श्रद्धांजलि रही।


















