व्हाइट हाउस में सलाहकारों का दबदबा: विदेश और रक्षा मंत्री से भी ज्यादा वेतन पाने वाला कर्मचारी

डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में व्हाइट हाउस की कार्यप्रणाली और वेतन ढांचा काफी चर्चा में है। हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि व्हाइट हाउस में कुछ सलाहकार ऐसे हैं, जिन्हें अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री से भी अधिक वेतन दिया जा रहा है। इस रिपोर्ट के बाद यह मुद्दा अमेरिका की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ी बहस का विषय बन गया है।

सबसे खास बात यह सामने आई है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप स्वयं सैलरी लेने से इनकार कर चुके हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति को हर साल 4 लाख डॉलर सैलरी के रूप में मिलते हैं, मगर ट्रंप इस पूरी राशि को सरकारी कोष में जमा कर देते हैं। इससे पहले जॉन एफ. कैनेडी और हर्बर्ट हूवर भी अपनी राष्ट्रपति सैलरी नहीं लेते थे। ट्रंप की तरह विदेश मंत्री मार्को रुबियो और कुछ अन्य अधिकारियों ने भी अपना वेतन लेने से मना कर दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद सबसे अधिक सैलरी जैकलिन क्लॉप को मिल रही है। क्लॉप को हर साल 2 लाख 25 हजार डॉलर दिए जाते हैं, जो अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों की सैलरी (2 लाख 21 हजार डॉलर वार्षिक) से भी अधिक है। क्लॉप का मुख्य काम राष्ट्रपति को आव्रजन मामलों में सलाह देना है, और वह सीमा सुरक्षा प्रमुख टॉम होमन के साथ मिलकर कार्य करती हैं। क्लॉप के पास सरकार में 17 साल का अनुभव है, और ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका की इमिग्रेशन नीतियों में लगातार बदलाव हो रहे हैं, जिसमें उनकी भूमिका अहम बताई जाती है।

क्लॉप के बाद एसोसिएट काउंसलर एडगर मक्रचियन को सबसे अधिक सैलरी मिलती है। उन्हें सालाना 2 लाख 4 हजार डॉलर दिए जाते हैं। वहीं ट्रंप प्रशासन की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिना लैविट को 1 लाख 95 हजार डॉलर वेतन मिलता है। इसके अलावा व्हाइट हाउस के 35 से अधिक कर्मचारी ऐसे भी हैं, जिनका मासिक वेतन 15 हजार डॉलर से अधिक है।

इस रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ट्रंप प्रशासन में सलाहकारों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। आव्रजन नीतियों पर ट्रंप सरकार का फोकस बढ़ने के साथ ही उच्च अनुभव वाले विशेषज्ञों को भारी भरकम वेतन देकर जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं राष्ट्रपति और कुछ वरिष्ठ मंत्री स्वयं सैलरी न लेकर यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वे व्यक्तिगत लाभ से अधिक सरकारी सेवा को महत्व दे रहे हैं।

इस खुलासे ने जहां ट्रंप प्रशासन के वेतन ढांचे पर नए सवाल खड़े किए हैं, वहीं यह भी साबित करता है कि अमेरिका की नीतिगत निर्णय प्रक्रिया में सलाहकार कितने प्रभावशाली होते जा रहे हैं।

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