हिमाचल-उत्तराखंड की हर साल एक ही कहानी, साल दर साल बढ़ रहा संकट

Himachal Pradesh हिमाचल प्रदे में बारिश का कहर जारी है. पिछले 24 घंटों में सूबे के अंदर लगातार बारिश से जबरदस्त तबाही मची है. 16 जगहों पर बादल फटने, तीन जगहों पर अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन होने से करीब पांच लोगों की जान चली गई. बारिश के बाद पैदा हुआ हालात से अब तक कुल 10 लोगों की मौत हुई है.पिछले 11 दिनों में भारी बारिश की वजह से राज्य को कुल 356.67 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सूबे का मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम बचाव कार्य में लगी हुई है. मंडी में पिछले 32 घंटों में रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत 316 लोगों को बचाया गया है.

सूबे की 406 सड़कें ब्लॉक

आधिकारिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंडी में बादल फटने की कुल 10 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिससे भारी तबाही, जानमाल की हानि और बुनियादी ढांचे और दैनिक गतिविधियों में बड़े स्तर व्यवधान हुआ है. रेवेन्यू डिपार्टमेंट के मुताबिक, राज्य में करीब 406 सड़कें ब्लॉक हो गए हैं, जिनमें मंडी में 248, कांगड़ा में 55, कुल्लू में 37, शिमला में 32, सिरमौर में 21, चंबा में छह, ऊना में चार, सोलन में दो और हमीरपुर और किन्नौर जिलों में एक-एक सड़क शामिल है. इसके अलावा, मंडी जिले में 994 सहित 1,515 बिजली वितरण ट्रांसफार्मर और राज्य में 171 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हुई हैं.

हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को कुछ जगहोंको कुछ जगहों पर भारी बारिश हुई. मंडी जिले के सैंडहोल में सबसे ज्यादा 223.6 मिमी बारिश हुई. इसके अलावा, पंडोह (215 मिमी), करसोग (160.2 मिमी), कांगड़ा जिले के पालमपुर (143 मिमी), शिमला जिले के चोपाल (139.8 मिमी), मंडी के गोहर (125 मिमी), नारकंडा (67.5 मिमी), कुफरी (65 मिमी), शिमला (55.4), धर्मशाला (29.2 मिमी), सुंदरनगर (26.6 मिमी), नाहन (24.8 मिमी) और बिलासपुर (15.4 मिमी) में बारिश हुई.

शिमला, सोलन, सिरमौर, कुल्लू, हमीरपुर और मंडी जिलों में अगले 24 घंटों के लिए एक और बाढ़ की चेतावनी जारी की गई है. राज्य के मौसम विभाग के मुताबिक, 7 जुलाई तक पूरे सूबे में भारी से बहुत भारी बारिश जारी रहने की संभावना है. डिपार्टमेंट ने 2 से 7 जुलाई के लिए भारी बारिश का आरेंज अलर्ट जारी किया है.

राजधानी शिमला में अधिकतम तापमान 21.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि प्रमुख पर्यटन स्थलों धर्मशाला, मनाली, डलहौजी और कसौली में क्रमशः 27 डिग्री सेल्सियस, 25.1 डिग्री सेल्सियस, 19.7 डिग्री सेल्सियस और 23.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

साल दर साल बढ़ता संकट

अगर उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्र में बाढ़ रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए, तो इस इलाके में 1970, 1986, 1991, 1998, 2001, 2002, 2004, 2005, 2008, 2009, 2010, 2012, 2013, 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में तबाही जैसी स्थितियां पैदा हुईं.

पिछले कुछ दशकों में पश्चिमी हिमालय (WH) इलाके में पश्चिमी विक्षोभ (WD) गतिविधि और वर्षा की चरम सीमा के सिनॉप्टिक पैमाने की बढ़ती प्रवृत्ति मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का परिणाम है और इन बदलावों को सिर्फ प्राकृतिक बल द्वारा पूरी तरह से समझाया नहीं जा सकता है. यह घटना ऊंचाई वाले पूर्वी तिब्बती पठार के बड़े विस्तार पर देखी जाती है, जहां पश्चिमी हिस्से की तुलना में जलवायु परिवर्तन की प्रतिक्रिया में सतह का अधिक गर्म होना देखा जाता है.

लाइव विडियो
विज्ञापन
क्रिकेट स्कोर
राशिफल
DELHI Weather
Recent Posts