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फर्जी ईडी अधिकारी ने गिरोह के लिए चुन-चुनकर जोड़े सदस्य

मथुरा  के गोविंद नगर थाना क्षेत्र की पॉश कॉलोनी राधा ऑर्चिड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी बनकर सराफा को लूटने का प्लान था। हालांकि व्यापारी की सजगता के कारण आरोपी सफल नहीं हो पाए थे।

फर्जी ईडी अधिकारियों व उनकी गाड़ी सीसीटीवी में कैद हो गई थी। इस गिरोह के पांच सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस हिरासत में आए सदस्यों के बारे में जब जानकारी की गई, तो पता चला कि गिरोह से हर एक सदस्य को चुन-चुनकर जोड़ा गया था। महिला अधिकारी की भूमिका निभाने वाली आरोपी पीएचडी कर चुकी है और एक नामचीन इंजीनियर कॉलेज में प्रोफेसर है।

दो माह में बनी योजना, कई बार हुई रेकी

फर्जी ईडी बनकर व्यापारी के घर में डकैती की दो माह से योजना तैयार की जा रही थी। इसके लिए बदमाशों ने कई बार घर, दुकान समेत व्यापारी की अच्छी तरह से रेकी की। रेकी के बाद जब उन्हें सही लगा तब उन्होंने फर्जी वारंट बनाया और व्यापारी के घर पर ईडी अधिकारी बनकर तलाशी के लिए पहुंचे।

पकड़ी गई महिला अधिकारी है प्रोफेसर

फर्जी ईडी अधिकारी गैंग में पकड़ी गई सोनीपत निवासी महिला गैंग की शातिर खिलाड़ी है। वह पीएचडी कर चुकी है और एक नामचीन इंजीनियर कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उसका कुछ समय पहले अपने पति से तलाक हो गया। उसका आठ साल का बेटा है जो कि बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है। पकड़ी गई फर्जी महिला ईडी अधिकारी ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह पिछले काफी समय से देवेश के साथ दिल्ली में रहती है। दोनों के तलाक होने के कारण वह साथ रहते हैं। पूछताछ में महिला ने बताया कि उसके घर में माता-पिता दोनों हैं। देवेश के कहने पर वह गैंग में शामिल होकर फर्जी ईडी अधिकारी बनकर डकैती की योजना में शामिल हुई।

मथुरा, दिल्ली और हरियाणा के 900 सीसीटीवी कैमरे खंगाले

फर्जी ईडी अधिकारी बनकर व्यापारी के घर में डकैती के प्रयास के मामले में गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने मथुरा, दिल्ली और हरियाणा में 900 से अधिक कैमरों की सीसीटीवी फुटेज खंगाली तब जाकर शातिरों का सुराग लगा और उनकी गिरफ्तारी हुई।

व्यापारी का 5 साल पुराना नौकर निकला सूत्रधार

गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि व्यापारी के यहां 5 साल पहले देवेश शर्मा नौकरी करता था। उसने महोली रोड निवासी जीतेश को बताया कि व्यापारी के घर पर 100 करोड़ रुपये की धनराशि रखी है। यदि ईडी का छापा पड़ जाए तो कमीशन के तौर पर भी मोटी धनराशि मिलेगी। पुलिस के अनुसार जीतेश ने नरेश और गोविंद को बताया तो उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति है जो इस काम को करा सकता है। इसके बाद सभी ने मिलकर योजना बनाई। नरेश और गोविंद ने जिस युवक को बताया वह भी फरार है। इसके अलावा जांच में अभी कई लोगों के नाम सामने आए हैं। अभी इस मामले में आधा दर्जन के करीब गिरफ्तारी होना बाकी है।

वारंट पर लिखे सही नाम, पते ने पुलिस को चौंकाया

पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तारी के लिए कई बिंदुओं पर काम किया। सबसे पहले तो पुलिस फर्जी वारंट पर व्यापारी का सही नाम और पता लिखा होने पर चौंक गई। क्योंकि यह काम केवल ईडी के असली अधिकारी कर सकते हैं। यदि वह ईडी के सही अधिकारी होते तो स्थानीय पुलिस को सूचना देते। उन्होंने ऐसा नहीं किया और सीधे व्यापारी के घर पहुंच गए। इसी बात पर उन्हें किसी परिचित के शामिल होने का शक हुआ और जांच शुरू की। जांच में पांच साल पुराने नौकर का हाथ सामने आया और उसकी गिरफ्तारी हुई।

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