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उत्तराखंड की चुनावी रैलियों में चला गढ़वाली-कुमाउनी वाला दांव, भाषणों से माहौल बनाने की कोशिश

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की प्रचार रैलियों में मतदाताओं को रिझाने के लिए गढ़वाली और कुमाउनी का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। प्रत्याशियों से लेकर चुनाव प्रचार में आ रहे नेता भी गढ़वाली और कुमाउनी में ही भाषण दे रहे हैं।यूं तो चुनावों के दौरान जब भी स्टार प्रचारक उत्तराखंड आते हैं तो उनमें से कुछ स्थानीय बोली के जरिये वोटरों से कनेक्ट होने का प्रयास करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व की रैलियों में स्थानीय बोली से अपने भाषण की शुरुआत कर चुके हैं। अब राज्य के अन्य नेता भी इस प्रयोग को दोहराने लगे हैं।कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों की चुनावी रैलियों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कुमाउनी में भाषण दे रहे हैं। गुरुवार को पिथौरागढ़ की चुनावी सभा में उनका पूरा भाषण कुमाउनी में ही रहा। उन्होंने कुमाउनी में दिए भाषण में उत्तराखंड लेगे छ तैयार, अबकी बार 400 पार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्यू का नेतृत्व में राज्य की पांचों सीटों में कमल खिलन तय छ। सीएम धामी चुनावी रैलियों के अलावा भी कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले अन्य कार्यक्रमों में अपने भाषणों में कुमाउनी का जमकर इस्तेमाल करते हैं।

पौड़ी में नामांकन वाले दिन कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने भी अपना पूरा भाषण गढ़वाली में ही दिया। उन्होंने कहा कि दस साल पैली भाजपा न बोली कि अच्छा दिन औला। फिर पांच साल पैली बोली कि द्ववी करोड़ नौकरी मिलली। अब बोलणा छा कि रामराज्य ऐगी। इसी रैली में पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत ने कहा कि ई भाजपा का लोग बोलदा कुछ और करदा कुछ छ।

टिहरी से कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला ने कहा कि अब राजा रानी कू समय चलि ग्यै, अब प्रजा कू समय ऐगि। यु चुनाव राजशाही बनाम आम जनता कू चुनाव बणि ग्यै

।गोरखाली वोटरों से नेपाली में संवाद

माला राज्य लक्ष्मी ने दून के गल्जवाड़ी में गोरखाली वोटरों से नेपाली में संवाद करते हुए कहा ‘मोलाई ले जितानूंस, मं जीतेसी शुरू मई मं गल्जवाड़ी आऊं छ। यो न सोचनूं होला हमीं गाऊं गाऊं मां आऊं ना, लोकसभा मां हम बराबर जान पड़ता सबै लई तबै योजना कू लाभ मिलुस भनैरे, लोकसभा मा योजना पास गर्छम

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