चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) वायरयस को लेकर भारत भी अलर्ट हो गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सोमवार को कहा कि यह कोई नया वायरस नहीं है. हेल्थ एक्सपर्ट ने कहा कि यह कोई नया वायरस नहीं है. इसकी पहचान सबसे पहले 2001 में ही हो गई थी. हम लोगों ने बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की है. स्थिति को काफी करीब से मॉनिटर कर रहे हैं. इसमें चिंता की कोई बात नहीं है.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह वायरस आमतौर पर ठंड के समय में लोगों को संक्रमित करता है. जहां तक चीन में HMPV के बढ़ते मामलों की बात हैं तो इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की ओर से काफी करीब से नजर रखी जा रही है. WHO ने स्थिति का संज्ञान लिया है और शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट हमारे साथ साझा करेगा. उसके बाद रिपोर्ट आम लोगों के साथ शेयर किया जाएगा.
‘भारत में श्वसन वायरल रोगजनक बीमारियों में बढ़ोतरी नहीं’
उन्होंने आगे कहा कि आज हुई बैठक में आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के पास उपलब्ध रेस्पिरेटरी वायरस के देश के आंकड़ों की भी समीक्षा की गई है और भारत में किसी भी सामान्य श्वसन वायरल रोगजनकों में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है. स्थिति की समीक्षा के लिए 4 जनवरी को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संयुक्त निगरानी समूह की बैठक हुई. देश की स्वास्थ्य प्रणालियां और निगरानी नेटवर्क सतर्क हैं. चिंता की कोई बात नहीं है. हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं.
सर्दियों में ज्यादा असर दिखाता है यह वायरस
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वायरस सांस संबंधी मामलूी परेशानी से लेकर गंभीर जटिलता से जुड़ी बीमारियों तक का कारण माना जाता है, विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में. यह पूरी दुनिया में पाया जाता है और समशीतोष्ण क्षेत्रों में सर्दियों के उत्तरार्ध और वसंत की शुरुआत के दौरान चरम पर होता है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में यह साल भर फैलता रहता है.
सामान्य लक्षण सर्दी जुकाम की तरह
जहां तक एचएमपीवी के लक्षण की है तो व्यक्ति की उम्र, सामान्य स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के आधार पर अलग-अलग होते हैं. हल्के मामलों में आमतौर पर सर्दी जुकाम, गले में खराश खांसी और बुखार आना शामिल है. सामान्य तौर पर सर्दी में भी ऐसा ही होता है. अगर इसके गंभीर मामलों की बात करें तो एचएमपीवी ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियोलाइटिस या निमोनिया जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है. विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों वाले लोगों में लक्षण गंभीर हो सकते हैं.