इलाज में लापरवाही बरतने की वजह से प्रसूता की मौत पर आगरा के अस्पताल पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने 12 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। इसपर पांच साल का 9 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा।ये आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दिए।आगरा निवासी रामू की पत्नी ऊषा देवी गर्भवती थीं। रश्मि मेडिकेयर सेंटर में नियमित जांच हो रही थी। दो मई 2018 को जांच के लिए गई ऊषादेवी को प्रसव के लिए भर्ती कर लिया। तीन मई को बेटे को जन्म दिया और शाम को उसकी तबियत बिगड़ गई। सांस लेने में तकलीफ और अत्यधिक रक्तस्राव होने पर चार मर्द को उसे टसरे अस्पताल सिनर्जी प्लस में रेफर करदिया गया। वहां 25 मई तक आराम न मिलने पर जयपुर स्थित इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड रेफर सेंटर में भर्ती किया गया। 13 जून को उनकी मृत्यु हो गई। स्टेट मेडिको लीगल रिपोर्ट में ऊषादेवी की मौत की वजह अस्पताल द्वारा बरती गई लापरवाही बताया गया।
इस पर ऊषा के पति रामू ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग के अध्यक्ष व न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने कहा कि इस मामले में रश्मि मेडिकेयर की लापरवाही पाई गई है। जब प्रसूता का हीमोग्लोबिन महज 6 था और 12 के नीचे आपरेशन नहीं किया जाना चाहिए , तब भी आपरेशन कर देना गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही है। उन्होंने शेष दोनों अस्पतालों की कोई लापरवाही नहीं पाई।
अपने आदेश में उन्होंने रश्मि मेडिकेयर पर 10 लाख रुपये का हर्जाना लगाया। मानसिक उत्पीड़न के रूप में दो लाख रुपये और वाद व्यय के 20 हजार भी देने का आदेश दिया। इस पर वर्ष 2019 से 9 फीसदी सालाना ब्याज भी देना होगा। साथ ही उन्होंने ये भी आदेश दिया कि दस लाख रुपये मृतका की पांच बेटियों के नाम दो-दो लाख की एफडी के रूप में दिए जाएं। ब्याज और मानसिक क्षतिपूर्ति की राशि पति को मिलेगी।