पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ व्यापार के मसले पर बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि, पड़ोसी देशों से व्यापार को लेकर मनाही नहीं है, लेकिन मेरा सुझाव है कि, जब भारतीय कंपनियों को पड़ोसी देश के साथ व्यापारिक संबंध पर काम करना हो तो ऐसे में ‘नेशनल सिक्योरिटी फिल्टर’ का ध्यान रखना चाहिए और घरेलू निर्माताओं से सोर्सिंग पर अधिक भरोसा करना चाहिए.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये स्पष्ट करते हुए कि उनके सुझाव का मतलब यह नहीं है कि भारत ने चीन के साथ व्यापार से इनकार किया है, लेकिन ऐसी स्थिति में भारतीय व्यवसायों को राष्ट्रीय सुरक्षा संवेदनशीलताओं का ध्यान रखना चाहिए. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को दांव पर लगाकर किसी देश के साथ व्यापार को प्राथमिकता नहीं देगा.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में Confederation of Indian Industry (CII) के एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे. इस मौके पर ही उन्होंने यह सुझाव दिए और कहा कि ‘जहां तक चीन की बात है तो हम अभी भी इस देश में लोगों को भारत में निर्माण, भारत में स्रोत, भारत से खरीदारी के लिए प्रोत्साहित करेंगे.’
हम अपने लोगों को आत्मनिर्भरता व स्वावलंबन के लिए प्रोत्साहित करते रहेंगे. अगर कोई भारतीय विकल्प उपलब्ध है, तो जरूरी है कि आपक उसे प्राथमिकता दें. यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ अपने व्यवसाय के लिए भी अच्छा है. अगर कोई आपके ड्राइंग रूम तक घुस आया है, तो क्या आप उसके साथ व्यापार करेंगे? यह कॉमन सेंस की बात है’
जयशंकर ने आर्थिक गतिविधि के ‘हथियारीकरण’ के संबंध में चिंताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि, “चीन ने वास्तव में आर्थिक गतिविधि के किसी भी रूप के हथियारीकरण की अनुमति दी है. हमने देखा है कि कैसे निर्यात और आयात, कच्चे माल तक पहुंच या यहाँ तक कि पर्यटन की स्थिरता का उपयोग भी राजनीतिक दबाव डालने के लिए किया गया है”.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की आर्थिक प्राथमिकताओं को रणनीतिक हितों के साथ जोड़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा, “अगर हमें अपनी वृद्धि को बढ़ावा देना है तो भारत की संभावनाओं वाली अर्थव्यवस्था को वैश्विक संसाधनों तक पहुंच को अधिक गंभीरता से लेना होगा.’ जयशंकर ने कहा कि भारत का पुराना मित्र रूस अब ‘पूर्व की ओर मुड़ रहा है’, इसलिए नए आर्थिक अवसर उभर रहे हैं. भारत के पूर्व विदेश सचिव ने कहा, ‘हमारे व्यापार और सहयोग के नए क्षेत्रों में बढ़ोतरी को अस्थायी घटना नहीं माना जाना चाहिए.