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अलीगढ़ के जिला अस्पताल में बंद पड़ी है जंबो पैक मशीन

अलीगढ़ जिले में डेंगू के प्रकोप से राहत देने के लिए जंबो पैक प्लेटलेट्स मशीन लगाई गई है। इस मशीन के माध्यम से रक्तदाता से लिए गए रक्त से प्लेटलेट्स अलग की जाती हैं। डेंगू या किसी बुखार में शरीर में प्लेटलेट्स कम होने पर यही प्लेटलेट्स चढ़ाई जा सकती है।

जिससे मरीज को जल्द ही राहत दी जा सकती है। मार्च 2024 में मलखान सिंह जिला अस्पताल में स्थापित यह मशीन लाइसेंस प्रक्रिया में अटक गई है। इसको संचालित करने के लिए विभागीय स्तर पर मिलने वाली एनओसी अब तक नहीं मिली है।

डेंगू का मौसम दस्तक दे चुका है। बुखार पीड़ितों की संख्या सैकड़ों में पहुंच रही है। सितंबर व अक्तूबर में डेंगू, मलेरिया व अन्य संचारी रोगों का प्रकोप सबसे अधिक होता है। ऐसे में मरीजों के उपचार में जंबो पैक मशीन बहुत मददगार साबित हो सकती है। प्राइवेट लैब में प्लेटलेट्स अलग करा कर लेना बहुत महंगा होता है। निजी पैथालॉजी लैब से लेने पर प्लेटलेट्स के जंबो पैक की कीमत 11 से 16 हजार के बीच रहती है। सीएमओ का कहना है कि जल्द ही इसकी एनओसी के लिए आला अधिकारियों से कहा जाएगा।

मरीज बढ़ने पर प्लेटलेट्स की हो जाती है कमी

डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स कम होने लगती है। ऐसी स्थिति में प्लेटलेट्स चढ़ाने की नौबत आ जाती है। अभी डेंगू के केस नहीं हैं, इसलिए ब्लड बैंक पर ज्यादा दबाव नहीं है। मरीज बढ़ने पर सबसे अधिक मांग प्लेटलेट्स की होती है।

जंबो पैक मशीन में ऐसे बनती हैं प्लेटलेट्स

सीएमओ डॉ. नीरज त्यागी ने बताया कि जंबो पैक मशीन में रक्तदाता द्वारा दिया गया रक्त डाला जाता है। मशीन में रक्त तेजी से घूमता है, जिससे प्लेटलेट्स अन्य रक्त घटक से अलग हो जाती हैं। अलग हुई प्लेटलेट्स को एक साफ प्लास्टिक बैग में एकत्र किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद प्लाज्मा, लाल रक्त कोशिकाएं और सफेद रक्त कोशिकाएं रक्तदाता को वापस दे दीं जाती हैं। पूरी प्रक्रिया में लगभग डेढ़ से ढाई घंटे लगते हैं। जंबो पैक मशीन से 40 से 80 हजार तक प्लेटलेट्स एकत्र हो सकती हैं।

कब पड़ती है जंबो पैक की जरूरत

जंबो पैक की जरूरत शरीर में प्लेटलेट्स कम होने पर पड़ती है। इससे एक बार में 80 हजार तक प्लेटलेट्स बढ़ जाती है। गंभीर मरीजों को इसकी जरूरत पड़ती है। छोटे पैक में चार से पांच हजार प्लेटलेट्स होती हैं।जंबो पैक मशीन जिला अस्पताल में इसी वर्ष मार्च में आई है। अभी तक इसके प्रयोग के लिए जरूरी एनओसी नहीं मिली है। जल्द उच्चाधिकारियों से बात कर एनओसी लेकर लाइसेंस के लिए आवेदन किया जाएगा।-डॉ. नीरज त्यागी, सीएमओ।

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