दिल्ली और एनसीआर में बढ़ता वायु प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बन गया है। इस बिगड़ती स्थिति को लेकर राजनीतिक हलकों से लेकर आम जनता तक हर जगह चिंता व्यक्त की जा रही है। विपक्ष लगातार सरकार पर हमला कर रहा है कि मौसमी उपायों और कागजी योजनाओं से कुछ नहीं होगा। इसी बीच देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी और पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर डॉ. किरण बेदी ने भी इस मसले पर गहरी चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विस्तृत पत्र लिखा है।
किरण बेदी ने अपने पत्र में कहा कि दिल्ली की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है, और इसका सीधा असर करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रदूषण नियंत्रण के लिए मजबूत और दीर्घकालिक नीति नहीं बनाई गई, तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उनके अनुसार, देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदूषण का स्तर एक गंभीर खतरा बन चुका है, लेकिन प्रशासनिक समन्वय की कमी और विभागों के बीच तालमेल न होने से समाधान प्रभावी नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता अब इतनी खराब हो चुकी है कि इसे मौसमी समस्या या किसी एक वजह से उत्पन्न संकट मानना गलत है। यह एक संरचनात्मक, दीर्घकालिक और व्यापक समस्या है, जिसे केवल अस्थायी उपायों या कुछ दिनों के लिए बनाए गए प्रतिबंधों से काबू में नहीं लाया जा सकता। किरण बेदी ने अपने X पोस्ट में लिखा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई राष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों पर समयबद्ध और पारदर्शी कार्रवाई सुनिश्चित की थी। उसी प्रकार की नियमित उच्च-स्तरीय मॉनिटरिंग, जवाबदेही और सख्त क्रियान्वयन आज प्रदूषण संकट को नियंत्रित करने के लिए बेहद जरूरी है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि केंद्र, दिल्ली सरकार, पड़ोसी राज्यों और विशेषज्ञ संस्थानों के बीच एक संयुक्त, स्थायी और परिणाम-आधारित तंत्र बनाया जाए, ताकि हर स्तर पर नीति और क्रियान्वयन में सामंजस्य कायम रहे। उनका कहना है कि प्रदूषण को रोकने के लिए तकनीकी नवाचार, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा, परिवहन सुधार, कचरा प्रबंधन और औद्योगिक नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में तत्काल और मजबूत कदम उठाने होंगे।

















