महाराष्ट्र में वक्फ बोर्ड द्वारा 103 किसानों को नोटिस भेजने का मामला चर्चा में है। यह मामला किसानों की जमीनों पर वक्फ बोर्ड के दावे से जुड़ा हुआ है। किसानों का आरोप है कि वक्फ बोर्ड उनकी लगभग 300 एकड़ जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करना चाह रहा है।
मामला क्या है?
- वक्फ बोर्ड का दावा: वक्फ बोर्ड का कहना है कि यह जमीनें वक्फ संपत्ति हैं और उनका पंजीकरण बोर्ड के नाम पर है।
- किसानों की आपत्ति: किसानों का कहना है कि ये जमीनें उनकी पुश्तैनी संपत्ति हैं, और वे लंबे समय से यहां खेती कर रहे हैं। उन्होंने वक्फ के दावे को नाजायज बताया है।
- नोटिस का प्रभाव: किसानों को वक्फ बोर्ड की ओर से नोटिस भेजा गया है, जिसमें जमीन खाली करने का निर्देश दिया गया है।
कानूनी पहलू:
- वक्फ बोर्ड भारत में धार्मिक और सार्वजनिक संपत्तियों की देखरेख करता है, लेकिन कई बार जमीनों के स्वामित्व को लेकर विवाद होते रहे हैं।
- ऐसे मामलों में कोर्ट का रुख अहम हो जाता है, क्योंकि यह तय करना होता है कि जमीन का वास्तविक मालिक कौन है।
क्या हो सकता है आगे?
- किसान इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
- सरकार को भी इसमें हस्तक्षेप करके विवाद को सुलझाने की कोशिश करनी होगी, ताकि किसानों का हक सुरक्षित रह सके।
पीढ़ी दर पीढ़ी हमें मिली हैं जमीनें
किसानों का 300 एकड़ जमीनों के इस मामले में कोर्ट में पहले दो सुनवाई की जा चुकी है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय की है. किसान तुकाराम कानवटे ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि उनकी ये जमीन उन्हें अपने पूर्वजों से पीढ़ी दर पीढ़ी मिली है.
ये वक्फ बोर्ड की संपत्ति में नहीं आती हैं. हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र सरकार हमें न्याय दे. केंद्र सरकार ने इस साल 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल को पेश किया था. केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड के कामकाज को सुव्यवस्थित और इसकी संपत्तियों को सही तरीके से मैनेज किया जा सके.