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देश की पहली लेजर नक्षत्रशाला पर लटके ताले

रामपुर। सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते डिजिटल लेजर तकनीक पर आधारित देश की पहली लेजर नक्षत्रशाला पर पिछले एक साल से ताले लटके हुए हैं। बारिश का पानी घुसने के बाद नक्षत्रशाला की मशीनें खराब हो गई थीं।

एक साल में इन मशीनों को सही नहीं कराया जा सका। इसके चलते 25 करोड़ की लागत से तैयार नक्षत्रशाला छात्रों को ज्ञान के बजाय सिर्फ निराशा दे रही है। बाहर से नक्षत्रशाला देखने आने वाले लोग निराश होकर लौट रहे हैं।

जिले में 2007 में देश की पहली लेजर नक्षत्रशाला की नींव रखी गई थी। वर्ष 2011 में करीब 25 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण पूरा हुआ था। तब से इसका संचालन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मुरादाबाद की देखरेख में हो रहा है। पिछले एक साल से नक्षत्रशाला अधिकारियों की उदासीनता की शिकार है। पिछले साल बारिश के मौसम में पानी भरने से नक्षत्रशाला की कई मशीनें खराब हो गई थीं। इसके बाद इन मशीनों को ठीक ही

नहीं कराया गया।

नक्षत्रशाला में जिले से अलावा बाहर से भी लोगों के अलावा छात्रों के समूह आते थे, लेकिन पिछले एक साल से इन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है। नक्षत्रशाला शुरू कराने के लिए पिछले दिनों प्रशासनिक अफसरों ने सक्रियता दिखाई थी। डीएम खुद नक्षत्रशाला का निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इसको चालू कराने की कवायद शुरू नहीं की गई है।

वीडियो के जरिये दिखाई जाती हैं खगोलीय घटनाएं

आर्यभट्ट नक्षत्रशाला में खगोलीय घटनाओं का सचित्र वर्णन दिखाया जाता है। 2011 से शुरू हुई आर्यभट्ट नक्षत्रशाला में खगोलीय घटनाओं को वीडियो के जरिये दिखाया जाता है। इसके अलावा यहां खगोलीय घटनाओं की सचित्र प्रदर्शनी भी लगाई जाती है।

50 मिनट का होता था शो

आर्यभट्ट नक्षत्रशाला में प्रतिदिन तीन शो दिखाए जाते थे। प्रत्येकशो की अवधि 50 मिनट होती थी। शो का समय दोपहर 1 बजे, अपराह्न 3 बजे और शाम 5 बजे निर्धारित था। अतिरिक्त शो को 10:30 बजे से 12:15 बजे के बीच 100 या अधिक के समूह के लिए 10 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से दिखाया जाता था। गर्मी की छुट्टियों में एक अतिरिक्त शो शाम 6 बजे से भी दिखाया जाता था। नक्षत्रशाला में प्रवेश शुल्क तीन वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए प्रति व्यक्ति 25 रुपये निर्धारित है। प्रमाणपत्र दिखाने पर विकलांगों के लिए प्रवेश निशुल्क है।

आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया नाम

नक्षत्रशाला का नाम पहले डॉ. भीमराव आंबेडकर नक्षत्रशाला रखा गया था। बाद में महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर नक्षत्रशाला का नाम बदलकर आर्यभट्ट नक्षत्रशाला रख दिया गया। तब से यही नाम जाना जाता है।आर्यभट्ट नक्षत्रशाला की कमियों को दूर कराकर इसे जल्द ही चालू कराया जाएगा। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। – जोगिंदर सिंह, डीएम

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