लखनऊ में बसपा मायावती ने अपने राजनीतिक दमखम का प्रदर्शन करते हुए कांशीराम की पुण्यतिथि पर आयोजित विशाल जनसभा में विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को दलित विरोधी बताते हुए कहा कि PDA की बात करने वाले अगर सच में दलितों को साथ लेकर चलना चाहते हैं तो बताएं कि सपा सरकार में जिलों के नाम क्यों बदले गए थे। मायावती ने कहा कि अखिलेश सरकार ने 2012 में सत्ता में आते ही दलित समाज से जुड़ी कई कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया था, जिससे स्पष्ट होता है कि उनका PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) केवल एक चुनावी नारा है, न कि वास्तविक नीति।
मायावती ने अपने संबोधन में योगी सरकार की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर कुछ सुधार किए हैं, जिससे प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण हुआ है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो सभी वर्गों को समान सम्मान देने में सक्षम है।
कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती ने कार्यकर्ताओं को दलित आंदोलन की दिशा और उद्देश्य याद दिलाते हुए कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव को लक्ष्य बनाकर पूरी ताकत से तैयारी करें। उन्होंने कहा कि बसपा का संघर्ष सत्ता पाने के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर कमजोर वर्ग को सम्मान दिलाने के लिए है। जनसभा में बड़ी संख्या में समर्थकों की मौजूदगी ने यह संदेश दिया कि मायावती अभी भी दलित राजनीति की मजबूत आवाज बनी हुई हैं और आने वाले चुनावों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

















