मुजफ्फरनगर में 26 नवंबर को आजाद समाज पार्टी की महारैली: ‘संविधान बचाओ, भाईचारा बढ़ाओ’ का संदेश

मुजफ्फरनगर में 26 नवंबर को राष्ट्रीय संविधान दिवस के अवसर पर आजाद समाज पार्टी एक भव्य महारैली आयोजित करने जा रही है। यह जनसभा शहर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में होगी, जहां तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। पार्टी इस कार्यक्रम को न केवल संविधान दिवस का उत्सव, बल्कि अपने बढ़ते जनाधार और संगठनात्मक शक्ति के महत्वपूर्ण प्रदर्शन के रूप में भी देख रही है। तीन मंडलों के 14 जिलों से लाखों लोगों की भीड़ जुटने की संभावना जाहिर की जा रही है, जिससे रैली को ऐतिहासिक बनाने की तमाम तैयारियां तेज गति से जारी हैं।

जिला अध्यक्ष दिनेश बावरा ने बताया कि संविधान दिवस के मौके पर आयोजित इस रैली की थीम “संविधान बचाओ, भाईचारा बढ़ाओ” रखी गई है। उनका कहना है कि आज भी दलित समाज का एक बड़ा वर्ग अपने मौलिक अधिकारों से वंचित है और समाज में असमानता की स्थितियां मौजूद हैं। ऐसे में पार्टी का उद्देश्य है कि इस रैली के माध्यम से न केवल समाज को संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए, बल्कि सभी वर्गों में आपसी विश्वास और भाईचारा बढ़ाने का संदेश भी दिया जाए। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह जनसभा आने वाले राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगी, विशेषकर वर्ष 2026 के जिला पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।

पूर्व जिला अध्यक्ष जगदीश पाल ने बताया कि यह तीन मंडलों की साझा महारैली है, जिसमें मुजफ्फरनगर के साथ 13 अन्य जिलों से भी भारी संख्या में लोग पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि सभी धर्म और समाजों से चंद्रशेखर आजाद को चाहने वाले लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। उनका कहना है कि संविधान दिवस को रैली की तिथि इसलिए चुना गया है ताकि लोगों को यह संदेश दिया जा सके कि हमारा संविधान खतरे में है और वर्तमान सरकार इसे पूर्ण रूप से लागू करने में विफल साबित हो रही है। इसीलिए रैली का मुख्य नारा है—“संविधान बचाओ, भाईचारा बढ़ाओ।”

आजाद समाज पार्टी काशीराम के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार चित्तौड़ भी तैयारियों का जायजा लेने जीआईसी मैदान पहुंचे। उन्होंने बताया कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को आधिकारिक रूप से अपनाया था, इसलिए यह दिन लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्होंने कहा कि संविधान नागरिकों को समान अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और न्याय की गारंटी देता है, लेकिन 75 वर्षों के बाद भी देश का बड़ा हिस्सा बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। लाखों लोग आज भी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है और सरकारी विभागों के निजीकरण से युवाओं को संविदा पर कम वेतन मिल रहा है।

सुनील कुमार चित्तौड़ ने कहा कि थानों और चौकियों में गरीबों के साथ भेदभाव होता है, कोर्ट में सरकारी वकील अक्सर कमजोर वर्गों की सही तरीके से पैरवी नहीं कर पाते, जिससे असमर्थ लोग न्याय से वंचित रह जाते हैं। ऐसे हालात में रैली का उद्देश्य लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना है ताकि समाज में भाईचारा और एकजुटता बढ़ सके और जनता ऐसी पार्टी को चुने जो उनके अधिकारों की रक्षा करे। उन्होंने अपील की कि चंद्रशेखर आजाद को चाहने वाले सभी लोग इस रैली में अधिक से अधिक संख्या में शामिल हों और संविधान सुरक्षा के संदेश को मजबूत बनाएं।

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