मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने एससी-एसटी मामले में गोविंद सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है. साथ ही कोर्ट ने आदिवासी युवक की मौत की एसआईटी जांच का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया है कि नीलेश आदिवासी की मौत की जांच के लिए 3 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया जाए.सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने आदेश दिया कि घटना के परस्पर विरोधी बयानों के बीच निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए दो दिनों के भीतर एसआईटी का गठन किया जाए. एसआईटी में मध्य प्रदेश के बाहर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल किया जाए.
आशीष मिश्रा को मिली बड़ी राहत
उधर, सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा को बेटी की 12वीं की बोर्ड परीक्षा से पहले 25 से 31 दिसंबर के बीच उसके साथ समय बिताने के लिए घर जाने की अनुमति दी. इससे पहले कोर्ट ने 9 अक्टूबर को आशीष को परिवार के साथ दिवाली मनाने के लिए लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति दी थी.
शर्तों को लागू रखने का निर्देश
सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस बागची की पीठ ने आशीष मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे द्वारा दायर याचिका पर विचार किया. इस दौरान पहले दी गई जमानत शर्तों को लागू रखने का निर्देश दिया. इसमें राजनीतिक गतिविधियों में भाग ना लेने की शर्त भी है. सीजेआई ने आशीष और अन्य के खिलाफ जारी मुकदमे की स्थिति पर विचार किया.
85 लोगों की गवाही अभी बाकी
इस दौरान पीठ को बताया गया कि अब तक 36 गवाहों की गवाही हो चुकी है. 85 लोगों की गवाही अभी बाकी है. दूसरी एफआईआर से संबंधित मामले में 35 गवाहों की गवाही होनी है. उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश के सामने 789 मुकदमे लंबित हैं. इस पर पीठ ने कहा कि विभिन्न विशेष अदालतें अत्यधिक बोझ झेल रही हैं. इस मामले पर मार्च 2026 में सुनवाई की जाएगी.

















