मुजफ्फरनगर की बेटी इरम ने रचा इतिहास, माॅ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय की श्रेष्ठता सूची में किया पहला स्थान हासिल

मुजफ्फरनगर की शिक्षा नगरी एक बार फिर गौरवान्वित हुई है। माॅ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2024-25 में पूर्ण होने वाले पाठ्यक्रमों की घोषित श्रेष्ठता सूची में जनपद के नवाब अज़मत अली खान गर्ल्स डिग्री कालेज की बीए तृतीय वर्ष की छात्रा इरम पुत्री मौ. अकबर ने कला वर्ग में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। इरम ने पूरे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 264 कॉलेजों में बाजी मारकर यह मुकाम हासिल किया है।विश्वविद्यालय प्रशासन ने घोषणा की है कि 29 सितम्बर को आयोजित होने वाले दीक्षान्त समारोह में इरम को कुलपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान न केवल इरम के शैक्षिक परिश्रम का प्रतीक है बल्कि जिले के लिए भी गर्व का विषय है।महाविद्यालय के प्रबंधक और प्रसिद्ध शायर डॉ. नवाज़ देवबन्दी ने इरम की इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह पल उनके सपनों की साकारता है। उन्होंने बताया कि उनकी वर्षों पुरानी इच्छा थी कि उनके कॉलेज की कोई छात्रा विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान हासिल करे और इरम ने इस सपने को सच कर दिखाया है। उन्होंने सभी छात्राओं को इरम से प्रेरणा लेने और शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक जीवन में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करने का संदेश दिया।महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अनीता अग्रवाल ने भी इरम और उनके परिवार को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि पूरे महाविद्यालय परिवार को इरम की इस सफलता पर अपार गर्व है। प्राचार्या ने इसे छात्राओं की मेहनत और कॉलेज के शिक्षकों के मार्गदर्शन का परिणाम बताया।इरम की सफलता ने यह साबित किया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सतत परिश्रम से कोई भी मंज़िल पाना संभव है। कला वर्ग में प्रथम स्थान पाकर इरम ने न केवल अपने परिवार और कॉलेज का मान बढ़ाया है बल्कि जिले के लिए भी नई मिसाल कायम की है। इरम का यह सफर उन छात्राओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो उच्च शिक्षा में नए कीर्तिमान स्थापित करना चाहती हैं।मुजफ्फरनगर जैसे शिक्षा केंद्र में जब कोई छात्रा विश्वविद्यालय स्तर पर शीर्ष स्थान पाती है तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करता है। इरम ने यह सिद्ध कर दिया कि अवसर और समर्पण मिलने पर ग्रामीण और शहरी छात्राओं में कोई अंतर नहीं रहता।अब पूरा जनपद 29 सितम्बर के दीक्षान्त समारोह की प्रतीक्षा कर रहा है, जब विश्वविद्यालय की कुलपति इरम को स्वर्ण पदक से अलंकृत करेंगी। यह क्षण न केवल इरम के जीवन का स्वर्णिम अध्याय होगा बल्कि उनके माता-पिता, कॉलेज और जिले के लिए भी अविस्मरणीय गौरव का अवसर बनेगा।इरम की यह सफलता आने वाले समय में हजारों छात्राओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और यह संदेश देगी कि बेटियां शिक्षा के हर क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल कर समाज और राष्ट्र का नाम रोशन कर सकती हैं।

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