नीट यूजी का पेपर 30 से 40 लाख रुपये में बेचा गया था.इस मामले में अब तक 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई है और इस मामले में इंटर स्टेट गैंग काम कर रहा था. हालांकि अब केंद्र सरकार ने यह मामला सीबीआई को सौंप दिया है. सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कर ली है.
5 मई को पहली बार मिली गड़बड़ी की जानकारी
एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक, पटना में पुलिस को 5 मई को पहली बार गड़बड़ी की जानकारी मिली थी, जिसके बाद पुलिस ने झारखंड नंबर की डस्टर कार में परीक्षा केंद्र के पास मंडरा रहे तीन लोगों सिकंदर यादवेंदु, अखिलेश कुमार और बिट्टू कुमार को पुलिस ने पकड़ा था.नीट पेपर लीक मामले में सिंकदर कुमार यादवेंदु नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया है. उस पर रांची में कई अभ्यर्थियों को पेपर उपलब्ध कराने का आरोप है.
सूत्रों के मुताबिक, सिंकदर देश के कई राज्यों में अपना सॉल्वर गैंग चला रहा था. आरोपी सिकंदर झारखंड में ही रहता था. जांच में सामने आया है कि सिंकदर के गिरोह के लोगों ने अभिभावकों के साथ होटल में एक मीटिंग की थी और उनके साथ पैसों की डील की थी, जिसके तहत एक-एक प्रश्न पत्र के लिए 40 लाख रुपये तक वसूले गए थे.
निजी कूरियर कंपनी पर भी शक पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच टीम को शक है कि नीट-यूपी का पेपर लीक होने के पीछे एक निजी कूरियर कंपनी का भी हाथ है. पुलिस की जांच अब इस एंगल को ध्यान में रखते हुए भी आगे बढ़ रही है. सूत्रों के अनुसार पुलिस जांच में यह भी बात सामने आ रही है कि
हो सकता है कि सॉल्वर गिरोह ने कूरियर कंपनी के कर्मचारी से संपर्क कर पेपर लीक करवाया हो. हालांकि, जांच पूरी नहीं होने तक इस मामले में पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार NEET का प्रश्न पत्र पहले रांची हवाई अड्डे पर उतारा गया और फिर कूरियर कंपनी इसे लेकर हजारीबाग पहुंची थी. पुलिस को शक है कि रांची और हजारीबाग के बीच इस गिरोह ने पेपर लीक करने के लिए निजी कूरियर कंपनी से सांठगांठ की होगी. आपको बता दें कि हजारीबाग में प्रश्न पत्र को SBI के लॉकर में रखा गया था. साथ ही हजारीबाग में भी इस परीक्षा का सेंटर था.