कैथल। सिरसा के बाद अब अंबाला में दो वकीलों पर पुलिस द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे का विरोध कैथल में भी दिखा। बुधवार को जिला बार एसोसिएशन के आह्वान पर वकीलों ने एक दिन की हड़ताल की।व्यापक रहा कि केवल एक दिन में ही करीब एक हजार केसों की सुनवाई नहीं हो पाई। सभी मामलों में अदालत से अगली तारीख ली गई।
सबसे बड़ा असर बेल और जमानत से जुड़े मामलों पर पड़ा। हड़ताल के चलते करीब 50 बेल के केस अटक गए और 100 से अधिक मुवक्किलों को जमानत नहीं मिल सकी। वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए, लिहाजा हर केस में केवल अगली तारीख मिल गई। जिलेभर की 17 अदालतों का कामकाज पूरी तरह प्रभावित रहा।बार एसोसिएशन के पदाधिकारी वकीलों के साथ कोर्ट परिसर के मुख्य गेट पर डटे रहे और नारेबाजी करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया।
हड़ताल से प्रभावित आमजन ने भी परेशानी झेली। शहर के प्रवीन ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि बुधवार को वकीलों की हड़ताल है। वे अपने परिजन की बेल करवाने कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन वकील कामकाज छोड़कर हड़ताल पर रहे। इसी वजह से वे जमानत नहीं करवा पाए। शहर निवासी सुमित ने भी कहा कि उनके भाई की बेल करवानी थी, लेकिन अब सुनवाई गुरुवार को होगी।
जिला बार एसोसिएशन के प्रधान संदीप शर्मा ने बताया कि हड़ताल के दौरान प्रत्येक अदालत में एक प्रोक्सी काउंसिल खड़ा किया गया था, जिसने केसों में केवल अगली तारीख ली। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वे अंबाला के वकीलों के साथ हैं। अंबाला से जो भी निर्देश आएंगे, कैथल बार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी।
प्रधान संदीप शर्मा ने कहा कि पुलिस बिना किसी तथ्य या जांच के वकीलों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कर रही है। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। उन्होंने अंबाला के वकील तेजिंद्र मोहन लिबरान और संजीव मोहन लिबरान के खिलाफ दर्ज मुकदमे को पूरी तरह निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि वकील हमेशा पुलिस के साथ सहयोग और तालमेल रखते हैं, लेकिन पुलिस कभी वकीलों का साथ नहीं देती है। उन्होंने कहा कि बार काउंसिल के नियमों के अनुसार वर्क सस्पेंड के दिन कोई भी वकील अगर अदालत में पेश होता है, तो उस पर 11 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।

















