मैक्स हॉस्पिटल में मुज़फ्फरनगर की महिला का जटिल ओवेरियन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन

मुज़फ्फरनगर की 40 वर्षीय महिला सुशीला, जो दो बच्चों की मां हैं, को समय से पहले मेनोपॉज़ की समस्या हुई थी। चार महीने से उन्हें असामान्य रक्तस्राव हो रहा था, जो सामान्य स्थिति नहीं थी। आमतौर पर 40 वर्ष से कम उम्र में मेनोपॉज़ बहुत दुर्लभ है और केवल लगभग 1% महिलाओं में ही यह देखने को मिलता है। सुशीला को तो लगातार पेट दर्द की शिकायत थी, आंत या मूत्राशय की आदतों में कोई बदलाव और ही किसी तरह की गांठ महसूस हुई थी। यही कारण था कि उनकी स्थिति आसानी से अनदेखी हो सकती थी। लेकिन समय रहते उन्होंने अपने लोकल गायनेकोलॉजिस्ट से परामर्श लिया, जिन्होंने उन्हें मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली की डायरेक्टरसर्जिकल ऑन्कोलॉजी (गायनेकोलॉजी), डॉ. स्वस्ति से मिलने की सलाह दी। डॉक्टर स्वस्ति मुज़फ्फरनगर में आयोजित ओपीडी के दौरान उपलब्ध थीं और वहीं पर सुशीला ने उनसे परामर्श लिया। इसके बाद उन्हें विस्तृत जांच के लिए मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली बुलाया गया।जांच में सामने आया कि सुशीला के अंडाशय (ओवरीज़) में एक बड़ा ट्यूमर है, जिसका आकार लगभग फुटबॉल जितना (17 × 14.5 × 12 सेमी) था। इसके अलावा उनके गॉल ब्लैडर में पथरी और पेट में फ्लुइड्स भी पाए गए। पेटसीटी स्कैन में ट्यूमर की पुष्टि हुई और बायोप्सी से यह साफ हुआ कि मामला शुरुआती स्टेज का ओवेरियन कैंसर (स्टेज IA बॉर्डरलाइन ओवेरियन ट्यूमर) है। ऐसे मामलों में अक्सर कीमोथैरेपी या रेडिएशन की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन डॉक्टरों ने सटीक और समय पर उपचार कर स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला।डॉ. स्वस्ति के अनुसार इस केस की सबसे बड़ी चुनौती थी ट्यूमर को पेट से सुरक्षित निकालना, वह भी इस तरह कि ऑपरेशन के दौरान ट्यूमर फटे नहीं। विस्तृत मूल्यांकन और परामर्श के बाद एक चार घंटे लंबी जटिल सर्जरी की गई। इस ऑपरेशन में गर्भाशय (यूटरस), दोनों अंडाशय (ओवरीज़), फैलोपियन ट्यूब, गॉल ब्लैडर और आसपास के संक्रमित टिशूज़ को हटाया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शरीर पूरी तरह से कैंसर मुक्त हो। ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि मरीज़ को तो कीमोथैरेपी की और ही रेडिएशन की आवश्यकता पड़ी।सर्जरी के बाद सुशीला को 24 घंटे के भीतर आईसीयू से बाहर शिफ्ट कर दिया गया और पाँचवें दिन ही उन्हें स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह सामान्य जीवन की ओर लौट रही हैं। डॉ. स्वस्ति ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, “असामान्य रक्तस्राव को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए, खासकर तब जब मेनोपॉज़ समय से पहले रहा हो। यह ओवेरियन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है। जागरूकता, समय पर निदान और सटीक उपचार से गंभीर बीमारियों में भी बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।मरीज़ का फॉलोअप शेड्यूल भी तय किया गया है। पहले दो वर्षों तक उन्हें हर तीन महीने पर जांच के लिए बुलाया जाएगा, इसके बाद अगले दो वर्षों तक हर छह महीने पर और उसके बाद साल में एक बार फॉलोअप होगा। इस तरह की निगरानी लंबे समय तक मरीज़ की सेहत और रिकवरी के लिए बेहद ज़रूरी है।यह मामला केवल चिकित्सकीय दृष्टिकोण से एक बड़ी सफलता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि अगर लोग लक्षणों को नजरअंदाज़ करें और समय पर विशेषज्ञ से परामर्श लें तो गंभीर बीमारियों को मात देना संभव है। सुशीला का यह सफल उपचार अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा है कि असामान्य लक्षणों को कभी भी हल्के में लें और समय पर जांच और इलाज कराएं।

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