मालाखेड़ा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रयोगशालाओं के निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में ब्लॉक मालाखेड़ा के सभी लैब टेक्नीशियन एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। शुक्रवार को लैब टेक्नीशियनों ने कार्यस्थल पर काली पट्टी बांधकर सरकार और विभाग का ध्यान आकर्षित किया। लैब टेक्नीशियनों ने कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तावित हब एंड स्पोक मॉडल के तहत प्रयोगशालाओं का निजीकरण करना आम जनता के हितों के खिलाफ है। वर्षों से मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना प्रदेशवासियों के लिए आदर्श उदाहरण रही है, जहां कम संसाधनों और सीमित मशीनरी के बावजूद लाखों गरीब, निम्नवर्गीय और मध्यमवर्गीय लोग निःशुल्क और भरोसेमंद जांच सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं। इस योजना के माध्यम से ग्रामीण और शहरी इलाकों के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से लाभान्वित होते रहे हैं।
लैब टेक्नीशियनों ने आशंका जताई कि यदि इन सरकारी लैब्स का निजीकरण किया गया तो सेवाओं की लागत में भारी वृद्धि होगी। निजी कंपनियों का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है, जिससे जांच की गुणवत्ता और पारदर्शिता प्रभावित हो सकती है। साथ ही, सरकारी स्वास्थ्य तंत्र पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और प्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली कमजोर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि गरीब और मध्यमवर्गीय लोग निजी जांच दरों का बोझ वहन करने में सक्षम नहीं होंगे, जिससे आम जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
प्रदर्शन में शामिल लैब टेक्नीशियनों ने मांग की कि सरकार सार्वजनिक हित में निजीकरण की प्रक्रिया पर पुनर्विचार करे और कैडर से जुड़ी लंबित मांगों को भी जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उनका कहना था कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी संघ मजबूर होकर जन आंदोलन का रास्ता अपनाएगा।
इस विरोध प्रदर्शन में मिश्रीलाल वर्मा, रामकुमार सैनी, अजय छिलवाल, कुसुम लता, योगेश जांगिड, दीनदयाल शर्मा सहित ब्लॉक मालाखेड़ा के सभी लैब टेक्नीशियन कर्मचारी मौजूद रहे और एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया।

















