अलीगढ़:जेएन मेडिकल कालेज में शुरू हुआ रिसर्च, 544 लोगों को लगेगी वैक्सीन

अलीगढ़:जेएन मेडिकल कालेज में शुरू हुआ रिसर्च, 544 लोगों को लगेगी वैक्सीन पहला जिला है जहां डेंगू वैक्सीन पर शोध हो रहा है। वैक्सीन पर तीसरे चरण के शोध के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के जेएन मेडिकल कॉलेज को चुना गया है। यहां 17 सितंबर से शोध शुरू हो चुका हैइसके लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पैनेसिया बायोटेक आर्थिक मदद कर रहीं हैं।

भारत के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 19 जगहों पर 10,335 लोगों को डेंगू की वैक्सीन लगेगी। जो स्वस्थ होंगे और उनकी आयु 18-60 वर्ष होगी। फिलहाल, जेएन मेडिकल कॉलेज में लोगों को टीका लगाने का काम शुरू हो चुका है। यहां करीब 544 लोगों को वैक्सीन लगनी है। जिसके बाद दो साल तक उनकी निगरानी की जाएगी। यह देखा जाएगा कि टीका लगने के बाद इनके शरीर में क्या बदलाव हो रहे हैं। किस तरह का असर देखने को मिल रहा है।मेडिकल कॉलेज में टीबी और श्वसन रोग विभाग के अध्यक्ष और परियोजना के प्रधान अन्वेषक प्रो. मोहम्मद शमीम ने बताया कि भारत में डेंगू वैक्सीन पर शोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे खास बात यह है कि डेंगू वैक्सीन पर शोध में देश से बाहर की किसी एजेंसी से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है। यह स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान करने के लिए भारत द्वारा स्वदेशी वैक्सीन बनाने का प्रयास है, जो सराहनीय है। यह हमारी आत्मनिर्भरता को भी प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि भारत में डेंगू के खिलाफ फिलहाल कोई एंटीवायरल या लाइसेंस प्राप्त टीका उपलब्ध नहीं है।

शोध के दो चरण पूर्ण

प्रो. शमीम ने बताया कि एक टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन (टीवी003/टीवी005) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) अमेरिका ने विकसित किया था। इसके बाद दुनियाभर में प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल जांच का अध्ययन किया गया था। सभी परिणाम आशाजनक थे। स्ट्रेन को भारत में तीन कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया गया है। इनमें से पैनेसिया बायोटेक विकास के सबसे उन्नत चरण में है। पैनेसिया ने स्वयं का एक पूर्ण विकसित वैक्सीन फॉर्मूलेशन विकसित करने के लिए काम किया है। कंपनी के पास इसका पेटेंट है। भारतीय वैक्सीन फॉर्मूलेशन के साथ पहले और दूसरे चरण का शोध 2018-19 में पूर्ण हो गया था।

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