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RLD विधायक मिथलेश पाल की मुश्किलें बढ़ीं: 5 साल पुराने केस में आरोप तय,

मुज़फ्फरनगर: RLD विधायक मिथलेश पाल की मुश्किलें बढ़ीं, 5 साल पुराने केस में कोर्ट ने तय किए गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक और पेचीदा मोड़ सामने आया है। राष्ट्रीय लोक दल (RLD) की मीरापुर से नवनिर्वाचित विधायक मिथलेश पाल पर कानूनी संकट का खतरा मंडराया है। पांच साल पुराने एक मामले में विशेष सांसद-विधायक अदालत ने उनके और 14 अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। इसमें उनके खिलाफ गंभीर आरोप जैसे दंगा भड़काने और बंधक बनाने शामिल हैं।

विधायक मिथलेश पाल और अन्य 14 आरोपी शुक्रवार को विशेष अदालत में पेश हुए। इस दौरान अदालत ने यातायात बाधित करने के एक मामले में सुनवाई की और मामले की अगली तारीख 03 जनवरी 2025 निर्धारित की।

कोर्ट ने क्या आरोप लगाए?

कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक, विशेष न्यायाधीश देवेंद्र सिंह फौजदार की अदालत ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं। इनमें शामिल धाराएं हैं:

  • धारा 147: दंगा
  • धारा 148: घातक हथियारों के साथ दंगा करना
  • धारा 342: बंधक बनाना

इन आरोपों के चलते विधायक मिथलेश पाल और उनके अन्य साथियों की मुश्किलें अब कानूनी स्तर पर और भी बढ़ गई हैं। उनके वकील किरणपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मामला 25 फरवरी 2019 को सिविल लाइंस थाने में दर्ज हुआ था।


मिथलेश पाल का राजनीतिक सफर

हाल ही में 23 नवंबर 2023 को हुए विधानसभा उपचुनाव में मिथलेश पाल ने मीरापुर सीट से RLD के टिकट पर जीत दर्ज की थी। उनका इस सीट से विधायक बनने का सपना इस बार साकार हुआ, लेकिन उनके खिलाफ कानूनी पेच ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेरने के संकेत दिए हैं।

मिथलेश पाल का राजनीतिक करियर बड़ा ही दिलचस्प है। उन्होंने 2012 में मीरापुर विधानसभा सीट से RLD के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उस चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रही थीं। उन्हें बसपा के उम्मीदवार जमील अहमद कासमी ने हराया था।

2017 में भी मीरापुर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना के खिलाफ उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, उनके हालिया चुनावी प्रदर्शन ने उन्हें एक बार फिर से RLD के लिए उम्मीद जगाई थी।


विधायक का घर और अब कानूनी पेच

मिथलेश पाल मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के जानसठ रोड स्थित भरतिया कॉलोनी में रहती हैं। उनके विधायक बनने के बाद से ही उनके राजनीतिक करियर में उम्मीदें जताई जा रही थीं। लेकिन कोर्ट में गंभीर आरोप तय होने के बाद उनकी राजनीतिक और कानूनी चुनौती एक साथ सामने आई है।

राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि यह मामला विधायक के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। उनके खिलाफ 5 साल पुराने इस केस में आरोप तय होने से RLD की स्थिति भी प्रभावित हो सकती है।


राजनीतिक प्रभाव और आगामी राजनीतिक रणनीतियां

विशेषज्ञों का मानना है कि मिथलेश पाल पर लगे आरोप और अदालत में लंबित मामला पार्टी के लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है। इसी के साथ पार्टी को यह भी रणनीति बनानी होगी कि कैसे मामले के कानूनी पहलुओं को सुलझाया जाए और साथ ही उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के विश्वास को बनाए रखा जाए।

इस विवाद से निकलने के लिए RLD को राजनीतिक और कानूनी रणनीतियों पर जोर देना होगा। ऐसे मामलों में जहां विपक्षी दल उनके खिलाफ राजनीतिक हमला कर सकते हैं, पार्टी को इस बात की रणनीति तैयार करनी होगी कि आरोपों से कैसे बचा जा सके और उनका राजनीतिक आत्मविश्वास कैसे बहाल किया जाए।


उपसंहार

मिथलेश पाल पर 5 साल पुराने दंगा और बंधक बनाने के आरोप ने उनके विधायक पद और राजनीतिक करियर को संकट में डाल दिया है। कोर्ट द्वारा आरोप तय होने के बाद उनका और RLD पार्टी का भविष्य अब अदालत की प्रक्रिया और कानूनी लड़ाई पर निर्भर करता है। उनके वकील ने कहा है कि इस मामले में आगे और भी कई पहलुओं पर गौर किया जाएगा।

जैसे-जैसे 3 जनवरी 2025 के फैसले की तारीख नजदीक आएगी, यह मामला उत्तर प्रदेश की राजनीति में और भी गर्माता जाएगा। सभी की निगाहें अब इस मामले पर टिकी हुई हैं।

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