बदायूं। होली की पूर्व संध्या पर भाजपा के टिकट का इंतजार खत्म हो गया। सपा के शिवपाल सिंह यादव के मुकाबले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपनी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य का टिकट काटकर अपने क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य को मैदान में उतार दिया है।
संघमित्रा मौर्य का टिकट कटने की मुख्य वजह उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के बड़बोलेपन को माना जा रहा है।
सपा ने टिकट पहले ही घोषित कर दिया था, लेकिन भाजपा का टिकट का इंतजार बढ़ता जा रहा था। पहली सूची में बदायूं का नाम न होने के समय से ही कयास लगाए जा रहे थे कि संघमित्रा का टिकट कट सकता है। इसके पीछे कारण यह था कि इनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़कर सपा में चले गए थे।
संघ ने झोंकी ताकत, क्षेत्रीय अध्यक्ष का नाम किया आगे जब वह सपा से कुशीनगर में चुनाव लड़ रहे थे तब संघमित्रा मौर्य भाजपा में रहते हुए उनके चुनाव प्रचार में पहुंची थीं। हालांकि, बाद में स्थिति सामान्य हो गई थी, लेकिन उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य का बड़बोलापन सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए नागवार गुजरा था। कुछ दिनों पहले संघमित्रा की मुलाकात पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से हुई थी, तब से वह अपने टिकट को लेकर आश्वस्त दिखने लगी थीं, लेकिन सामने शिवपाल सिंह यादव के आ जाने से भाजपा ठिठक गई थी। संघ ने भी अपनी पूरी ताकत झाेंक दी और अपने क्षेत्रीय अध्यक्ष का नाम आगे कर दिया।
रविवार देर शाम भाजपा ने दुर्विजय सिंह शाक्य को चुनाव मैदान में उतार दिया है। वह बदायूं के रहने वाले हैं, उनका घर दातागंज विधानसभा क्षेत्र में है जो आंवला लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। बरेली में वह रहते हैं इसलिए बरेली सीट पर भी दखल है। इसलिए वह बदायूं के साथ आंवला और बरेली सीट पर भी अपना प्रभाव रखते हैं।
बदायूं के ही रहने वाले हैं दुर्विजय सिंह शाक्य
दुर्विजय सिंह शाक्य बदायूं के रहने वाले हैं। वह समरेर ब्लाक के ब्राह्मपुर गांव के मूल निवासी हैं। पांच भाई व तीन बहानें में वह भाइयों में सबसे छोटे हैं। गांव में पांचवी तक पढ़ाई पूरी की उसके बाद वे हायर एजूकेशन के लिए बरेली चले गए, उन्होंने उच्चस्तरीय शिक्षा बीएससी, बीएड, एमए, ला की डिग्री, पीजी डिप्लोमा मास कम्युनिकेशन से प्राप्त किया।
वह बरेली के विशप मंडल इंटर कालेज में शिक्षक हैं। उन्होंने अंतर्जातीय विवाह पंजाबी समुदाय की बरेली निवासी मोना भाटिया से किया, वह भी उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। वह 1994 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने। 1995 में विद्यार्थी जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर राजनीति और सामाजिक जीवन की शुरुआत की। 1995 में सबसे पहले बरेली कालेज इकाई के सहमंत्री बने।
1997 में बरेली में विद्यार्थी परिषद में महानगर महामंत्री, महानगर उपाध्यक्ष, विभाग संयोजक और प्रदेश सह मंत्री भी रहे। 2001 में शाहजहांपुर में विद्यार्थी परिषद के विस्तारक के रूप में कार्य संभाला। 2002 से विद्यार्थी परिषद में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में मुरादाबाद-रामपुर विभाग के संगठन मंत्री का दायित्व संभाला।
2002 राम मंदिर आंदोलन के शिला पूजन कार्यक्रम के दौरान गिरफ्तार हुए और 14 दिन जेल में रहे। 2007 में उसहैत विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए कहा और वह तैयारी के लिए क्षेत्र में आए उसके बाद उसहैत विधानसभा सीट गठबंधन में चले जाने के कारण चुनाव नहीं लड़े।
2007 में भाजपा युवा मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष बने। 2012 में प्रदेश सह संयोजक पिछड़ा प्रकोष्ठ भाजपा बने। 2014 में पांचाल क्षेत्र के उपाध्यक्ष बने। 2016 में ब्रज क्षेत्र के महामंत्री और 2020 उपाध्यक्ष बने। 2023 से वह क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं।