सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश के श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग भगवान को भी आराम नहीं करने देते. दरअसल, इस मामले में वकील श्याम दीवान ने कहा कि दर्शन के समय में बदलाव हुआ है, यह अनुष्ठानों का एक अभिन्न अंग है. इन समयों को बहुत महत्व दिया जाता है. इसलिए अन्य मंदिरों के विपरीत, इनमें लचीलेपन का तत्व हो सकता है. सीजेआई ने कहा कि अगर दर्शन का समय बढ़ाया जाता है तो क्या समस्या है?दीवान ने कहा कि इसमें संवेदनशीलता की आवश्यकता है. ऐतिहासिक रूप से दर्शन के लिए निर्धारित समय का सख्ती से पालन किया जाता रहा है. सीजेआई ने कहा कि यह वह समय है जब तथाकथित धनी लोग, जो भारी रकम चुकाते हैं तो उन्हें अनुष्ठान करने की अनुमति दी जाती है.
भारी रकम चुकाने वालों को बुलाते हैं
सीजेआई ने कहा कि यह वह समय है जब वे हर तरह की प्रथाओं में लिप्त होते हैं, वे उन लोगों को आमंत्रित करते हैं जो भारी रकम चुका सकते हैं. दीवान ने कहा कि यह आशंका सही है, लेकिन यह एक अलग मुद्दा है. सीजेआई ने कहा कि दूसरा मसला, दैनिक पूजा की प्रथा को समाप्त करना. मान लीजिए कि मूल समय में 10-15 हज़ार की कमी आती है, लेकिन कई हज़ार की कमी से क्या फर्क पड़ेगा?दीवान ने कहा कि हम भगदड़ जैसी स्थिति नहीं चाहते, हमें श्रद्धालुओं की आवाजाही पर नियंत्रण चाहिए. यह एक अलग मुद्दा है. सुप्रीम कोर्ट ने बांकेबिहारी मंदिर उच्चाधिकार समिति, यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. जनवरी में अदालत के खुलने पर पहले हफ्ते में इस मामले पर सुनवाई होगी.इस याचिका का उद्देश्य 1939 की प्रबंधन योजना को राज्य-नियंत्रित ट्रस्ट से बदलना है. इससे पहले अदालत ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. मंदिर के दैनिक कामकाज की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था. वकील श्याम दीवान ने कहा कि चार पहलू हैं जिन पर अदालत को गौर करना चाहिए.

















