सहारनपुर में महावीर फोगाट की कहानी से प्रेरित गजेंद्र तोमर और उनकी बेटियों की कहानी भी चर्चा में है। गजेंद्र तोमर, जो खुद एक पूर्व पहलवान हैं, अपनी बेटियों आरोही और पूर्वी को घर में बने अखाड़े में प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनका सपना है कि उनकी बेटियां भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी में नाम रोशन करें। गजेंद्र तोमर का परिवार यूपी के बागपत जिले के लायन मलकपुर गांव से है, जो पहलवानी के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने 2004 में बागपत छोड़कर सहारनपुर में अपने परिवार के साथ नए जीवन की शुरुआत की। गजेंद्र का मानना है कि उन्होंने कई पहलवानों को प्रशिक्षण देकर उन्हें सफलता की राह दिखाई है। उनका सपना अब अपनी छोटी बेटी को भी पहलवान बनाने का है। इस परिवार की कहानी गीता-बबीता फोगाट की तरह प्रेरणा देने वाली है, जो यह साबित करती है कि महिलाओं के लिए खेलों की दुनिया में भी उतनी ही जगह है।
ताकि बेटियां देश के लिए लाएं मेडल
गजेंद्र को पहलवानी करने का शौक था लेकिन पारिवारिक कारणों के चलते वो अपने शौक को पूरा नहीं कर सके. गजेंद्र बताते हैं कि उन्होंने कई दंगल खेले हैं और इनाम भी जीते हैं . गजेंद्र का कहना है कि वो अपना सपना पूरा नहीं कर सके लेकिन वो अब अपनी दोनों बेटियों को खुद ट्रेनिंग देकर उन्हें एक अच्छा पहलवान बनाना चाहते हैं. ताकि वो विदेश जाकर देश के लिए गोल्ड जीत सकें. गजेन्द्र तोमर अपनी तीसरी बेटी को भी पहलवान बनाना चाहते हैं. गजेंद्र तोमर की पत्नी रूपा भी अपनी दोनों बेटियों पर काफी गर्व करती हैं. दोनो बेटियों को ट्रेनिंग देने में काफी खर्चा आता है इस पर गजेंद्र बताते है कि कुछ अधिकारी उनकी मदद करते है ताकि बेटियों का सपना पूरा हो सके.
सख्ती के साथ देते हैं ट्रेनिंग
आरोही और पूर्वी तोमर बताती हैं कि उनके पिता उनके लिए काफी संघर्ष करते हैं. उन्होंने कई बार दंगल फिल्म देखी है और उसी फिल्म की तरह हमारे पिता हमें ट्रेनिंग देते हैं. सुबह पांच बजे उठना, छोटे बाल रखना, घर के अखाड़े में रोजाना प्रैक्टिस करना, फिर स्कूल जाना और स्कूल के बाद स्टेडियम जाकर फिर प्रैक्टिस करना… ये सब उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है. दोनों बहने ओलंपिक खेलना चाहती हैं. देश के लिए गोल्ड लाकर देश का नाम रोशन करना चाहती हैं. आरोही और पूर्वी में अक्सर पहलवानी के दांव पेंच को लेकर झगड़ा भी होता है. वो फिर से एक दूसरे को पटखनी देकर अपना गुस्सा उतार लेती हैं. पिता गजेंद्र तोमर भी उन्हें सख्त ट्रेनिंग देते हैं और उन्हें डांट भी पड़ती है.